मोतिहारी: बुनकरों के उत्थान के लिए बनी अधिकतर योजनाएं बेदम हो चुकी हैं. सरकारी स्तर पर सार्थक व ठोस सपोर्ट नहीं मिल पाने के बारण इनकी हालत बदहाल हो गयी है. वहीं, अब यह कारोबार बिचौलिए की गिरफ्त में चला गया है.
लिहाजा बुनकरों ने अपने इस पारंपरिक कारोबार से मुंह मोड़ लिया है. कभी कुटीर कारोबार के रूप में प्रसिद्ध यहां के बुनकरों की माली हालत इतनी खराब हो गयी है कि ये बुनकर अब पलायन कर चुके हैं या रिक्शा व ठेला चलाकर गुजर बसर कर रहे हैं. इनके लिए संचालित योजनाएं भी बिचौलिए ही गटक रहे हैं. भच्छी के बुनकर मो. हमजा ने कहा कि जो आता है केवल भरोसा ही देता है. विभिन्न समितियों से जुड़े लोगों ने तो उनके फोटो और वीडियो बनाकर सरकार, विदेश व अन्य एजेंसियों से फंड लेकर बुनकरों को केवल छला है. इन्हें कोई मदद या रियायत नहीं मिल रही है.
बुनकरों के लिए प्रसिद्ध हैं ये गांव: बुनकरों के लिए जिले में चार दर्जन से अधिक गांव प्रसिद्ध हैं. इनमें जिला मुख्याल के पास स्थित राघोनगर, भौआड़ा, भच्छी प्रमुख है. इसके अलावे पंडौल नवटोलिया, कपसिया, दहिवत, लहेरियागंज, मकसूदा, जरहटिया, सरिसवपाही, मधेपुर, अररियासंग्राम, पिरोजगढ़, घोघरडीहा, राजनगर, नरकटिया व अन्य शामिल हैं.
बुनकरों के लिए लगातार संघर्ष करने वाले मो. अकिल अंसारी ने बताया कि अब जो बच गये हैं, उनकी भी हालत खराब हो चुकी है. बताया सरकार की उपेक्षा के कारण यह दशा हुई है. बुनकर व खादी के नाम पर अब मिलर सेट्ल हो रहे हैं. पूंजी के अभाव में यह कारोबार अब पूंजीपतियों के चंगुल में फंस गया है.
बुनकरों के कारोबार पर निर्भर थे कई परिवार: बुनकर रजिया खातून ने बताया कि इन लोगों के कारोबार से इन बुनकरों का रोजी रोटी तो चलता ही था, इनके धंधे से जिले में एक लाख से अधिक अन्य लोग निर्भर थे. जिसमें कतिन, कारोबारी, दुकानदार, बाहर माल भेजने वाले बड़े व्यवसायी, कपड़े की धुलाई करने वाले और अन्य लोग शामिल हैं. अब इन सभी की आर्थिक आमदनी का यह सशक्त साधन खत्म हो चुका है. अन्य लोगों को रोजगार देने वाले बुनकर अब खुद ही अपने रोजगार के लिए भटक रहे हैं. सलाउद्दीन अंसारी, मूसा अंसारी, रजिया खातून, अलाउद्दीन अंसारी, रजिक अंसारी व अन्य ने बताया कि जिस कारोबार से एक लाख से अधिक आदमी जुड़े थे उससे अब महज सैकड़ों में ही लोग जुड़े हुए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
मधुबनी क्षेत्रीय बुनकर सहयोग समिति के चेयरमैन मो. हामिद अंसारी ने बताया कि बुनकरों के लिए कई योजनाएं बनी है. पर उसका लाभ नहीं मिला है.