मोतिहारी: शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए बच्चों के स्वर्ण प्राशन जरूरी
सिटी न्यूज़: आयुर्वेद चिकित्सालय एवं न्यूरो पंचकर्म सेंटर हवाईअड्डा चौक छोटा बरियारपुर में न्यायाधीश राजेंद्र चौबे के द्वारा स्वर्णप्राशन समारोह का शुभारंभ बच्चो को दो बूंद दवा पिलाकर किया गया। मौके पर मोतिहारी सदर प्रखंड अस्पताल के डॉ दिवाकर पाण्डे ने दवा के गुणधर्म की चर्चा करते हुए कहा कि आयुर्वेद में बच्चों के शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वर्णप्राशन एक बेहद फायेदमंद दवा है।जन्म के 6 महीने बाद से लेकर 12 वर्ष तक के बच्चों को स्वर्णप्राशन हो सकता है। उन्होने बताया कि स्वर्णप्राशन संस्कार आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ऐसी विधि है,जो प्राकृतिक तरीके से बच्चों में स्वास्थ्य एंव बुद्धिमता प्रदान करती है। स्वर्णप्राशन का मतलब है,स्वर्ण को शहद,घी के साथ या अन्य द्रव्यों के साथ बच्चों को दिया जाता है।उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन को हमेशा सुबह खाली पेट देना चाहिए। स्वर्णप्राशन के उपयोग से बच्चों मे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होता है। इसे लगातार 6 महीने तक किया जा सकता है।इससे बच्चो का शारीरिक और मानसिक विकास तेज गति से होता है।साथ शरीर बलशाली बनता है।
डॉ दिवाकर पांडे ने बताया कि स्वर्णप्राशन को प्रतिदिन भी दिया जा सकता है। लेकिन शरद ऋतु को छोड गर्मी मे देने के पूर्व डॉक्टर की सलाह जरूरी है। साथ ही अगर कोई बच्चा किसी गंभीर बीमारी से ठीक हुआ है,तो उसे प्रतिदिन दिया जा सकता है।ताकि बच्चा दोबारा बीमार न पड़ें। साथ ही बच्चे को सर्दी, खांसी, जुकाम या बुखार होने की स्थिति मे स्वर्णप्राशन नहीं देने चाहिए।उक्त समारोह मे 50 बच्चो को स्वर्णप्राशन करवाया गया।