मुजफ्फरपुर न्यूज़: जिले के पीएचसी और सीएचसी ने पिछले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य से अधिक 113 प्रतिशत गर्भवतियों का निबंधन कर दिया, लेकिन जांच सिर्फ 79 फीसदी गर्भवतियों की ही हुई. स्वास्थ्य विभाग की इस रिपोर्ट के बाद गर्भवतियों के रजिस्ट्रेशन की रिपोर्ट पर कई सवाल उठ रहे हैं. गर्भवतियों की प्रसव पूर्व चार बार सरकारी अस्पतालों में जांच कराई जाती है. इसके लिए उनका रजिस्ट्रेशन किया जाता है. रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता और एएनएम है. ये दोनों गर्भवतियों के घर जाकर रजिस्ट्रेशन करती हैं और उन्हें जांच के लिए अस्पताल लाती हैं. सीएस डॉ यूसी शर्मा ने बताया कि शत प्रतिशत गर्भवतियों की जांच के लिए सभी प्रभारियों को निर्देश दिया गया है. उन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि वह सभी गर्भवतियों की चारों जांच कराएं. आयरन से लेकर बच्चे की स्थिति की होती है जांच
प्रसव पूर्व चारों जांच में महिलाओं में आयरन की स्थिति, बच्चे की स्थिति, महिलाओं में कैल्शियम की स्थिति की जांच की जाती है. डॉ. प्रेरणा सिंह ने बताया कि प्रसव पूर्व चारों जांच महिलाओं के लिए जरूरी है. इससे ही पता चलता है कि कि जच्चा और बच्चा का स्वास्थ्य कैसा है.
आठ प्रखंडों में दिखाया गया लक्ष्य से अधिक रजिस्ट्रेशन
आठ प्रखंडों ने अपनी रिपोर्ट में लक्ष्य से अधिक रजिस्ट्रेशन दिखाया है. इनमें बंदरा में 103 प्रतिशत, बोचहां में 106, कटरा में 104, मुरौल में 101, मुशहरी सदर में 108, पारू में 103, साहेबगंज में 111 और सरैया में 101 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन दिखाया गया है. इस रजिस्ट्रेशन के मुकाबले इन प्रखंडों में शत प्रतिशत गर्भवतियों की जांच नहीं हुई. बंदरा में 77 प्रतिशत, बोचहां में 73, कटरा में 71, मुरौल में 86, पारू में 86, मुशहरी सदर में 65, सरैया में 79 प्रतिशत जांच हुई. साहेबगंज में जांच का प्रतिशत भी 101 दिखाया गया है.