बिहार
नदी के पानी में प्रदूषण का स्तर मापना बताएगी एमआईटी की मशीन, खास सेंसर पानी का तापमान भी बताएगा
Renuka Sahu
11 Feb 2022 2:56 AM GMT
x
फाइल फोटो
गंगा, गंडक समेत अन्य नदियों की तलहटी से लेकर विभिन्न स्तर पर नदी के पानी में प्रदूषण का स्तर मापना अब आसान होगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गंगा, गंडक समेत अन्य नदियों की तलहटी से लेकर विभिन्न स्तर पर नदी के पानी में प्रदूषण का स्तर मापना अब आसान होगा। मुजफ्फरपुर प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के शिक्षकों ने मोटराइज्ड वाटर सैंपल मशीन बनाई है। अब तक आमतौर पर नदी के ऊपरी सतह के पानी का ही प्रदूषण मापा जाता है, लेकिन एमआईटी की इस मशीन से नदी की गहराई में प्रदूषण का आंकड़ा मिल सकेगा।
इस मशीन को पेटेंट कराने के लिए इंडिया पेटेंट नाम की संस्था को भेजा गया है। यह मशीन सिविल इंजीनरियरिंग विभाग के तीन शिक्षकों डॉ. आकाश प्रियदर्शी, डॉ. आशीष कुमार और डॉ. अतुल कुमार राहुल ने एक साल के परिश्रम से बनाई है। डॉ. प्रियदर्शी ने बताया कि मशीन को तैयार करने में बीएचयू आईटी के दो वरिष्ठ शिक्षकों प्रो. प्रभात कुमार सिंह दीक्षित और प्रो. श्याम बिहारी द्विवेदी का मार्गदर्शन लिया गया।
डॉ. अतुल ने बताया कि इस मशीन की खासियत यह है कि यह पानी की अलग-अलग गहराई में प्रदूषण को माप सकती है। इसके लिए इसमें सेंसर लगाए गए हैं। ये सेंसर कितनी भी गहराई में प्रदूषण माप कर तत्काल बाहर लगे डिस्प्ले पर बता देंगे। अलग-अलग गहराई पर प्रदूषण मापने के लिए सेंसर बढ़ाए भी जा सकते हैं। मशीन का उपयोग नदी के अलावा नहर और कुएं में भी किया जा सकेगा। ट्रायल के दौरान इसे पूरी तरह सफल पाया गया। मोटराइज्ड वाटर सैंपल मशीन पानी का तापमान भी बताएगी। मशीन से पता चल सकेगा कि नदी में ऊपरी सतह के पानी का तापमान कितना और गहराई में कितना है। डॉ. आकाश ने बताया कि पेटेंट होने के बाद मशीन उपयोग के लिए उपलब्ध होगी।
वाटर मीटर को भी पेटेंट की उम्मीद
एमआईटी के सिविल इंजीनिरिंग विभाग के छात्र अंकित कुमार द्वारा बनाया गया वाटर मीटर भी पेंटट के लिए गया है। यह वाटर मीटर पानी की टंकी से नल तक पानी की सप्लाई का हिसाब रखेगा। इससे जाना जा सकेगा कि कितनी आपूर्ति हो रही है और कितना पानी बर्बाद हो रहा है। तीन से चार महीने में इसका भी पेंटट आने की उम्मीद है।
Next Story