मिथिलांचल को राजधानी एक्सप्रेस की मिलेगी सौगात, दिल्ली से अब दरभंगा-निर्मली के रास्ते गुवाहाटी जाएगी ट्रेन
किसी भी राज्य की प्रगति इस तथ्य पर आधारित होती है, कि राज्य के पास कितनी पोटैंशियल (यानी राज्य के पास कितनी प्राकृतिक, भौतिक और मानवीय संपदा) है और लीडरशिप का विजन व उसकी प्रबंधन क्षमता कितनी है। अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो वर्ष 2017 से ठीक पहले के लगभग तीन दशकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, आर्थिक विकास और अर्थव्यवस्था के वितरण में कुशलता, दक्षता और समयबद्ध परिणाम देने की प्रक्रिया के साथ-साथ पारदर्शिता की बेहद कमी रही। परिणाम यह हुआ कि इन दशकों में राज्य उत्तरोत्तर गैर-विकासवादी प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ा, फलत: बुनियादी ढांचा और विकास नेपथ्य में चला गया, परंपरागत उद्यम मृतप्राय हुआ और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग सेक्टर बीमार हुआ, कृषि तकनीकी उन्नयन से वंचित हुई, बेरोजगारी और गरीबी बढ़ी जिससे सामाजिक संरचना में तमाम विभाजक रेखाएं खिंच गईं। प्राकृतिक, भौतिक और मानव संपदा से संपन्न उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी में पहुंच गया।