नालंदा न्यूज़: आग उगलती गर्मी और लू के थपेड़ों से जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित है. इसका प्रभाव दूध उत्पादन पर भी खूब दिख रहा है. करीब पांच हजार लीटर दूध के उत्पादन में गिरावट आ गयी है. घटते उत्पादन का प्रतिकुल असर पशुपालकों के साथ ही डेयरी उद्योग पर पड़ रहा है. नुकसान पालकों को उठाना पड़ रहा है.
बिहारशरीफ दूध शीतल केन्द्र के इंचार्ज चन्देश्वर राय बताते हैं कि नालंदा में सुधा डेयरी की करीब सात सौ समितियां हैं. इनसे 42 हजार से ज्यादा पशुपालक जुड़े हैं. पहले हर दिन समितियों द्वारा करीब 55 हजार लीटर दूध की आपूर्ति रोज की जाती थी. लेकिन, जब से तापमान चढ़ा है, तब से हर दिन करीब 50 हजार लीटर दूध का ही संग्रह हो पा रहा है.
पथरौरा के खटाल संचालक अंकित कुमार, दरवेशपुरा के किसान नीतीश कुमार, नूरसराय के मनोज कुमार कहते हैं कि गमी की वजह से मवेशी भरभेट भोजन नहीं कर पा रहे हैं. हरा चारा की किल्लत हो गयी है. आग उलती गर्मी के कारण खेत-बाधार में लगी घास सूख चुकी है. इसका सीधे-सीधे असर दूध उत्पादन पर पड़ा है.
भैंस के दूध में ज्यादा गिरावट हीट वेव की वजह से सबसे ज्यादा भैंस के दूध में गिरावट आयी है. खास यह भी कि जिले में सुधा डेयरी की समितियों में सबसे ज्यादा भैंस का दूध ही संग्रह किया जाता है.
दूध शीतल केन्द्र के इंचार्ज कहते हैं कि गर्मी की वजह से 30 फीसद तक भैंस के दूध में गिरावट आ गयी है. जबकि, गाय में करीब 10 फीसद. अमूमन भैंस को पालक खुले स्थानों पर रखते हैं. हर दिन खाली पड़े खेतों में उसे चराते हैं. वर्तमान स्थिति यह कि तपिश की वजह से हरा चारा समाप्त हो चुका है. नया हरा चारा लगाया गया है. लेकिन, उसे तैयार होने में अभी वक्त लगेगा.
तपिश में आएगी नरमी तो बढ़ेगा दूध का उत्पादन खटाल संचालकों का कहना है कि जबतक मौसम का मिजाज नहीं बदलेगा, तबतक दूध का उत्पादन में बढ़ोतरी संभव नहीं है. डर यह भी है कि जिस रफ्तार से पारा चढ़ रहा है और मौसम विभाग लू चलने की बात कह रहा है.
ऐसे में आने वाले दिनों में पशुओं में दूध उत्पादन में और गिरावट आ सकती है. इतना जरूर है कि तपिश में नरमी आएगी तो मवेशियों में दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा.