
पटना न्यूज़: पटना मेट्रो को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. इसके लिए रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना है. पहले चरण में पटना के सभी 12 एलिवेटेड स्टेशनों और डिपो के ऊपरी छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. इससे डिपो में लगभग 2000 और एलिवेटेड स्टेशनों से 50 किलोवाट बिजली तैयार होगी.
सोलर पावर का उपयोग पटना के सभी एलिवेटेड और भूमिगत स्टेशनों के लिफ्ट, स्वचालित सीढ़ियां, कंप्यूटर और ऑफिस से लेकर कॉरिडोर व प्लेटफॉर्म की लाइटों में होगा. दूसरे और तीसरे चरण में पटना मेट्रो के पार्किंग एरिया और आवासीय परिसरों के अलावा अन्य जगहों पर भी रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. ट्रेन परिचालन को छोड़कर अन्य सभी जरूरतों को सोलर पावर से पूरा किया जा सकेगा. इसपर पीएमआरसी व डीएमआरसी में मंथन चल रहा है. वहीं डीएमआरसी के अनुसार दोनों कॉरिडोर के स्टेशनों पर लगभग 27 हजार किलोवाट बिजली की जरूरत होगी.
डिपो में होगा सबसे अधिक बिजली का उत्पादन
शहर के पहाड़ी व रानीगंज मौजा के 19.2 हेक्टेयर जमीन पर मेट्रो का वर्कशॉप और 11.3 हेक्टेयर जमीन पर व्यवसायिक केंद्र बनना है. पहले चरण में वर्कशॉप एवं उसके अन्य भवनों के छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. इससे 2000 किलोवाट बिजली उत्पादन होगा. दूसरे चरण में 11.3 हेक्टेयर पर बनने वाले व्यवसायिक केन्द्रों की छतों पर सोलर पैनल लगेगा. डीएमआरसी के अनुसार, एक भूमिगत स्टेशन को 1500 से 2000 और एलिवेटेड स्टेशन को 200 से 300 किलोवाट बिजली की जरूरत होती है. पटना के दोनों कॉरिडोर में 12 एलिवेटेड और 12 भूमिगत स्टेशन बनने हैं. दोनों कॉरिडोर के स्टेशनों पर 27 हजार किलोवाट बिजली की जरूरत रोजाना होगी.
लिफ्ट, स्वचालित सीढ़ियां, कंप्यूटर, ऑफिस, कॉरिडोर व प्लेटफॉर्म की लाइटों में होगा सोलर पावर का इस्तेमाल