बिहार

राजनीतिज्ञों के लिए मीडिया प्रशिक्षण आवश्यक: सभापति देवेश चंद्र ठाकुर

Admin Delhi 1
5 April 2023 2:03 PM GMT
राजनीतिज्ञों के लिए मीडिया प्रशिक्षण आवश्यक: सभापति देवेश चंद्र ठाकुर
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पटना न्यूज़: राजनीतिज्ञों को मीडिया का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए. इससे वे सीख सकेंगे कि कहां बोलना चाहिए और कहां चुप रहना. चुप रहने में नुकसान नहीं होता.

यह बातें रोटरी क्लब ऑफ चाणक्या के बैनर तले आयोजित मीडिया कॉन्कलेव 2023 का उद्घाटन करते हुए बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहीं. उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया की ताकत का अंदाजा है. महाराष्ट्र के सीमेंट घोटाला प्रकरण का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एक तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक पत्रकार से अनौपचारिक बातचीत में अपनी कही गई बातों के कारण तीन दिनों में ही इस्तीफा तक देना पड़ा था. सभापति ने कहा कि मीडिया से जुड़ी ऐसी परिचर्चा काफी उपयोगी साबित होगी. हम सभी यहां से कुछ सीखकर जाएंगे. कॉन्कलेव का विषय ‘नए दौर में मीडिया जन सहभागिता अपेक्षाएं एवं विश्वसनीयता’ था. कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए ‘हिन्दुस्तान’ के स्थानीय संपादक विनोद बंधु ने कहा कि आज की पत्रकारिता में चुनौतियां बढ़ी हैं, तो अवसर भी बहुत है. अखबार आज भी अपनी विश्वसनीयता पर खरा उतरता है. जनसहभागिता बढ़ी है. अखबार लोगों के बीच जा रहा है. लोगों से निरंतर संवाद कर रहा है.

रोटरी क्लब ऑफ चाणक्या की मौनी त्रिपाठी ने कॉन्क्लेव में शामिल लोगों का स्वागत करते हुए नए दौर की पत्रकारिता से अपेक्षाएं, उसकी विश्वसनीयता और जन सहभागिता के संबंध में संक्षेप में अपनी बातों को रखा. कहा कि पत्रकारिता को पूरी जिम्मेवारी के साथ करने की जरूरत है. संचालन पत्रकार ध्रुव कुमार ने किया. उदघोषक के रूप में आरजे विजेता मौजूद रहे. वरिष्ठ पत्रकार आलोक मिश्रा, अंकित शुक्ला, ज्ञानेश्वर वात्सायन, कन्हैया भेलारी, रजनीश उपाध्याय, ज्योति मिश्रा ने भी बातें विस्तार से रखीं. कॉन्कलेव में कई संस्थानों के छात्र-छात्राएं, मीडिया से जुड़े पत्रकार मौजूद रहे.

सोशल मीडिया से सामाजिक क्रांति संभव

कॉन्कलेव में देश के चर्चित पत्रकार एनके सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया हमारे लिए वरदान है. इसके जरिए हम सामाजिक क्रांति कर सकते हैं. पत्रकारों को सोशल मीडिया का उपयोग अपनी बातों को रखने के लिए करना चाहिए. मीडिया को बेरोजगारों, किसानों और आम आदमी से जुड़ी खबरों को तरजीह देनी होगी. जीडीपी को विकास से जोड़कर देखा जाता है. समझना होगा कि जीडीपी में देश बीते पांच साल में 32वे पायदान से पांचवें स्थान पर पहुंच गया, लेकिन मानव विकास सूचकांक में बीते पांच सालों से 132वें स्थान पर ही क्यों है? एक तरफ रोजगार देने के दावे हो रहे हैं. दूसरी तरफ एक रिपोर्ट के अनुसार 15 से 29 वर्ष का 13 करोड़ युवक ना तो पढ़ रहे हैं, ना कोई काम कर रहे हैं और ना ही कोई प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. यह खतरनाक स्थिति है. इसे समझना चाहिए.

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