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पटना, बिहार में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन से सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने की शुरुआत होती है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के समय को शुभ माना जाता है और मांगलिक कार्य आसानी से किए जाते हैं। पृथ्वी दो गोलार्द्धों में बंटी हुई है ऐसे में जब सूर्य (Sun) का झुकाव दाक्षिणी गोलार्द्ध की ओर होता है तो इस स्थिति को दक्षिणायन और सूर्य जब उत्तरी गोलार्द्ध की ओर होता है तो इस स्थिति को उत्तरायण कहते हैं। साथ ही 12 राशियां होती हैं जिनमें सूर्य पूरे साल एक-एक माह के लिए रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति इस बार दो दिन मनाई जा रही है। कुछ लोग ने कल पर्व मनाया था। मकर संक्रांति का पर्व आज भी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। चूड़ा-दही के पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर पटना (Patna) के आस-पास के ग्रामीण इलाकों से गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दो दिन पूर्व से ही शुरू हो गया था, जो आज सुबह तक जारी रहा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही गंगा स्नान शुरू हो गया। सुबह से ही गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। ग्रामीण इलाकों के अलावा शहर के विभिन्न मुहल्लों से श्रद्धालुओं ने राजधानी के महेन्द्रू घाट, समाहरणालय घाट, काली घाट, भ्रद घाट, गांधी घाट, कृष्णा घाट समेत विभिन्न घाटों पर जाकर गंगा नदी में स्नान किया।
मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर और विष्णु पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर निरोग होता है तथा यश मिलता है। राजधानी पटना के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालु हर-हर गंगे का उच्चारण करते हुए नदी में डुबकी लगाकर भगवान भाष्कर की पूजा कर रहे हैं। साथ ही ब्राह्मणों को चूडा, गुड़ और तिल का दान किया जा रहा है। मकर संक्रांति के इस पावन अवसर पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।
Source : Uni India
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