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बिहार | संस्कार भारती, बिहार प्रदेश की ओर से संगोष्ठी सह प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसका विषय स्वतंत्रता आंदोलन में मधुबनी की भूमिका रखा गया था. इसमें आए मुख्य अतिथि केंद्रीय गुप्तचर विभाग से रिटायर्ड डीआईजी चंद्रशेखर दास ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में मधुबनी का योगदान किसी से कहीं से कम नहीं है . यहां की मिट्टी में अन्याय सहन करने की प्रवृत्ति भी नहीं है. यहां के बच्चों, माताओं, किसानों सभी ने अपना अपना योगदान जो जिस रूप में दे सकते थे दिया. और वे सभी हमारे लिए पूज्य हैं बलिदानी है.
पद्मश्री दुलारी देवी ने कहा कि आज की नई पीढ़ी जब जानेगी कि उनके मोहल्ले में भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई की केवल चार पांच नाम ही जो पुस्तकों में दिए हुए हैं वहीं नहीं है तो अवश्य ही उनके मन मस्तिष्क में देशभक्ति की भावना का अंकुर फूटेगा.
मुख्य वक्ता प्रो.शुभम कुमार वर्णवाल ने कहा कि यहां बलिदानियों के नाम की पूरी श्रृंखला है. 19 अगस्त 1942 को गांधी जी के आह्वान पर झंझारपुर प्रमंडल के दीप ग्राम निवासी पूरन मंडल और पंचानन मिश्र सशस्त्रत्त् संघर्ष में थाना जलाने और रेलवे पटरी को उखाड़ने में अंग्रेज की गोलियों के शिकार हो वीरगति को प्राप्त हो गए . उनका यह योगदान राष्ट्र सदैव स्मरण रखेगा. विशिष्ट अतिथि चंदना दत्त ने कहा कि यहां के महिलाओं का योगदान भी अविस्मरणीय है. गांधीजी के आह्वान पर सावित्री देवी, जमुना देवी, राधाकृष्ण चौधरी की पत्नी शांति देवी आदि आंदोलन में कूद पड़ी थीं.
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Harrison
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