मधुबनी: स्वच्छता स्वभाव, स्वच्छता संस्कार से अभियान के बाद भी नहीं जुड़ पाया है.इसका परिणाम यह हुआ है कि शहर के दर्जनों स्थानों पर खुले में कचरा फेंका जा रहा है.शहर में ब्लैक स्पॉट बने इन सभी क्षेत्रों में कई दिनों तक कचरा व गंदगी पसरा रह जाता है.जो स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है.महाराजगंज चौक से आगे निजी भूमि में स्थानीय लोगों में जागरुकता की कमी के कारण कचरा फैला हुआ है.ऐसे सभी निजी भूमि में लोग कचरा डाल दे रहे हैं.
स्टेडियम रोड, रांटी रोड, कैटोला रोड, बसुआरा चौक से आगे, सप्ता चौक के पास, बसुआरा से कंजर बस्ती जाने वाली सड़क, रामपट्टी जाने वाली मुख्य सड़क, रहिका जाने वाली मुख्य सड़क, नाजिरपुर जाने वाली मुख्य सड़क, मंगरौनी जाने वाली मुख्य सड़क व अन्य स्थानों पर कचरा फैला हुआ है.यह सभी स्थान ब्लैक स्पॉट बन चुका है.उल्लेखनीय है कि निगग ने स्टेडियम चौक से आगे महाराजगंज जाने वाली सड़क को ब्लैक स्पॉट मुक्त बनाने के लिए बड़ा अभियान चलाया था.इसके बाद इसे कचरा मुक्त किया गया.इसी तरह मालगोदाम में कई सालों से जमा कचरा को हटाने का काम अभियान चलाकर किया गया.
इस रोड में कचरा हटाने के बाद पौधरोपण का भी काम किया गया है.जिसकी काफी सराहना हुई.ऐसे अभियान की फिर से शहर में चलाये जाने की जरूरत है.
स्वच्छता रैकिंग में ब्लैक स्पॉट भी शामिल स्वच्छता सर्वेक्षण के सर्विस लेवल के लिए निर्धारित 60 फीसदी अंक में खुले में कचरा नहीं होने को शामिल किया गया है.इस प्रोसेस और डिस्पोजल के लिए 40 फीसदी अंक निर्धारित किया गया है.यानि कुल 5707 अंक में से 1910 अंक इसके लिए निर्धारित है.स्वच्छता सर्वेक्षण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है.जाहिर है इस हालत में निगम की रैकिंग पिछड़ना तय माना जा रहा है.इन स्पॉट को ऑनलाइन मॉनिटरिंग व फोटो से मिले रिपोर्ट के आधार पर कम अंक मिलने की आशंका है.स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रमाणीकरण को भी शामिल किया गया है.इसके लिए 26 प्रतिशत अंक निर्धारित है.कुल 9500 अंक में से प्रमाणीकरण के लिए 2500 अंक निर्धारित है.लेकिन जो शहर की स्थिति है उसमें ओडीएफ प्लस प्रमाणीकरण पर तलवार लटकने लगा है.
4918 लाभुकों को पांच साल बाद भी नहीं मिली दूसरी किस्त: शहर में पांच सालों में हजारों लाभुकों को शौचालय मद में कोई राशि नहीं मिली है.नये लाभुकों को राशि देने की बात तो दूर, 4918 लाभुकों को पांच साल बाद भी दूसरी किस्त की राशि नहीं मिली है.जबकि नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव ने 15 मार्च 24 को ही शहरीकरण में वृद्धि व क्षेत्र विस्तार के बाद व्यक्तिगत शौचालय के लिए सर्वे कर लाभुकों को चिन्हित करने का आदेश दिया था.लेकिन यह काम भी ठप है.इस तरह निगम में शामिल 45 वार्डों में छह हजार से अधिक घरों में शौचालय की समस्या है.
इस हालत में शहर को ओडीएफ प्लस प्रमाणीकरण के मसले पर निगम के द्वारा मांगी गयी आपत्ति पर सवाल उठने लगा है.मालूम हो कि पहले भी शहर को ओडीएफ प्रमाणीकरण को लेकर वार्ड पार्षदों के फर्जी हस्ताक्षर व रिपोर्ट संलग्न करने का मामला तुल पकड़ चुका है.अब एक बार फिर से यह मामला उठ रहा है.वार्ड 20 के पूर्व पार्षद उमेश प्रसाद ने बताया कि 95 लोगों को दूसरी किस्त नहीं मिली है.22 लोगों को चयनित किया गया और राशि नहीं मिली.वहीं विस्तार के बाद ऐसे दर्जनों परिवार है, जिन्हें शौचालय नहीं है.पुराने वार्ड तीस जो अब नये में वार्ड 42 बना है की वार्ड पार्षद प्रभावती देवी ने विभाग के प्रधान सचिव, दरभंगा प्रमंडल आयुक्त, डीएम व नगर आयुक्त सहित सभी संबंधित पदाधिकारी व विभाग को ज्ञापन भेजा है. इन्होंने ओडीएफ प्लस प्रमाणीकरण के लिए मांगी गयी आपत्ति दर्ज करते हुए बताया है कि उनके वार्ड में 375 को पांच साल पहले पहली किस्त के रूप में 7500 रुपए प्रति लाभुक दिया गया है.लेकिन इनमें से किसी भी लाभुकों को दूसरी किस्त की राशि नहीं मिली है.जबकि इन सभी लाभुकों का जिओ टैग हो चुका है.
पूर्व नगर प्रबंधक नीरज कुमार झा व तत्कालीन कार्यपालक सहायक प्रिया झा के द्वारा किया जा चुका है. वार्ड पार्षद प्रभावती देवी ने बताया कि वे दूसरी बार निर्वाचित हुई है.क्षेत्र का विस्तार भी हो गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी: नगर आयुक्त अनिल कुमार चौधरी ने बताया कि नगर प्रबंधक सह नोडल पदाधिकारी राजमणि कुमार जानकारी दिया है कि