मधुबनी: समस्तीपुर मंडल में पहली बार रेलवे अपनी जमीन पर बिजली का उत्पादन करेगा. इसके लिए रेलवे ने कोसी क्षेत्र के मधेपुरा और मिथिलांचल के मधुबनी जिले के पंडौल में जगह चिह्नित की है. समस्तीपुर मंडल के डीआरएम विनय श्रीवास्तव ने कहा कि सार्वजनिक निजी साझेदारी के अंतर्गत मंडल के मधेपुरा में 2.5 मेगावाट और पंडौल में 7.5 मेगावाट कुल दस मेगावाट बिजली का उत्पादन रेलवे की जमीन पर किया जाएगा.
समस्तीपुर मंडल की यह पहली ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजना होगी. इस महत्वपूर्ण कार्य को क्रियान्वित करने के लिए 11 को निविदा आमंत्रित की गई है. इसमें अनुमानित लागत राशि करीब 50 करोड़ रुपए है. उन्होंने कहा कि मधेपुरा में 2.5 मेगावाट सौर ऊर्जा से प्रतिदिन(रोज) दस हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. पंडौल में 7.5 सौर ऊर्जा से हजार यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा. सौर ऊर्जा से प्रतिदिन करीब 3.20 लाख रुपए का बिजली उत्पादन किया जाएगा जिसमें सौर पैनल देखरेख सहित अन्य तरह के खर्च पर करीब 2 लाख रुपए के खर्च आएंगे. करीब सवा लाख रुपए की बचत प्रतिदिन होगी.
मधेपुरा में 15 मेगावाट और बिजली का होगा उत्पादन पहले फेज में मधेपुरा में 2.5 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाएगा. डीआरएम ने कहा कि मधेपुरा में दूसरे फेज में 15 मेगावाट और बिजली का उत्पादन किया जाएगा. ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजना के अंतर्गत 15 मेगावाट से 60 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन करने की भी आगे की योजना है.
इसी वित्तीय वर्ष में पूरा होगा काम: मधेपुरा और पंडौल में जमीन पर बिजली का उत्पादन कार्य इसी वित्तीय वर्ष में पूरा होगा. निविदा फाइनल होने के बाद 6 से 8 माह में कार्य समाप्त करने की समय अवधि रहेगी. मधेपुरा स्टेशन से 500 मीटर आगे रेलवे की 26 हजार स्क्वायर मीटर जमीन का बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जाएगा. वहीं पंडौल में लाख स्क्वायर मीटर जमीन में सौर ऊर्जा परियोजना क्रियान्वित की जाएगी.
बिजली का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक ट्रेनों के परिचालन में होगा: उत्पादित बिजली का इस्तेमाल रेलवे इलेक्ट्रिक ट्रेनों के परिचालन में भी करेगा. डीआरएम ने कहा कि प्रतिदिन करीब 40 हजार यूनिट प्रदूषण मुक्त बिजली का उत्पादन किया जाएगा, जो नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में रेलवे द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है. इस परियोजना से रेलवे को सस्ती दरों पर सौर ऊर्जा की प्राप्ति होगी. बिजली का इस्तेमाल विद्युत ट्रेनों के परिचालन में किया जाएगा. उत्पादन की अधिकता की स्थिति में बची बिजली का उपयोग बिहार सरकार के विद्युत विभाग के माध्यम से आम जनता के उपयोग के लिए दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन से रेलवे की जमीन का सदुपयोग होने से उसका अतिक्रमण भी नहीं होगा.