बिहार

Madhubani: बाल हृदय योजना में राज्य में जिला चौथे पायदान पर

Admindelhi1
18 Dec 2024 7:37 AM GMT
Madhubani: बाल हृदय योजना में राज्य में जिला चौथे पायदान पर
x
जांच के बाद अगर बच्चे हृदय रोग से पीड़ित हैं तो उन्हें सरकार द्वारा निशुल्क इलाज की सुविधा दी जाएगी.

मधुबनी: राज्य सरकार ने जिले में हृदय रोग से ग्रसित बच्चों के लिए बाल हृदय योजना शुरू की है. योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का हृदय का इलाज निशुल्क कराया जाता है. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के योजना लिए कारगर साबित हो रहा है.

बाल हृदय योजना अंतर्गत जिले में 1 अप्रैल 2021 से लेकर 4 2024 तक जिले के जिले में 221 बच्चे दिल में छेद के साथ जन्मे जिसमें 116 बच्चे का उपचार के लिए पहचान किया गया एवं 95 बच्चों का सफल निशुल्क ऑपरेशन किया गया. जिसमें प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एवं रिसर्च फाऊंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद में 78, आईजीआईसी में 14, आईजीआईएमएस में 03 बच्चों का निशुल्क ऑपरेशन किया गया. प्रक्रिया में राज्य से जारी आंकड़ों के अनुसार जिला राज्य में चौथे पायदान पर है. सीएस डॉ. एसएन झा ने बताया बिहार सरकार द्वारा बिहार बाल हृदय योजना की शुरुवात की गई है. योजना का उदेश्य जन्म से हृदय रोग से पीड़ित बच्चो का इलाज हो पाए तथा वह स्वास्थ्य जीवन जी पाए. बिहार बाल हृदय योजना बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित की जा रही है. योजना के अंतर्गत 18 वर्ष या उससे कम आयु के बच्चों के हृदय रोग का इलाज निशुल्क कराया जाता है. वह बच्चे जो जन्म से हृदय रोग से पीड़ित है. वह योजना से लाभ प्राप्त कर सकते है. बच्चे की जांच जिले के नजदीकी आरबीएसके केंद्र से सम्पर्क कर सकते है. बच्चे के माता, पिता, अभिभावक बच्चे के हृदय की जाँच नज़दीकी प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आरबीएसके में जा कर करा सकते है. जांच के बाद अगर बच्चे हृदय रोग से पीड़ित हैं तो उन्हें सरकार द्वारा निशुल्क इलाज की सुविधा दी जाएगी.

पात्रताएं बच्चा बिहार का मूल निवासी होना चाहिए. आयु 18 वर्ष या उससे कम होनी चाहिए. बच्चा जो हृदय के छेद जैसी गंभीर बीमारी के साथ जन्मे है केवल वह पात्र है.

45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर समुचित इलाज किया जाता है. इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 डी का नाम दिया गया है. इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है उनमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सून्नापन, गूंगापन, मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय, ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटा होठ एवं तालू, स़िर्फ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कूल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग, असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल हैं.

आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों की बीमारियों का इलाज किया जाता है. 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती. 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है, ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो.

आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रति 6 महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है. स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है.

हृदय रोग के लक्षण

सांस फूलना. धड़कन का तेज होना. अत्यधिक रोना. शरीर, होठ एवं जीभ का नीला पड़ना. वजन का नहीं बढ़ना. रोक रोक कर दूध पीना. थकावट होना. पैर, पेट एवं आँखो का फूल जाना.

Next Story