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मुजफ्फरपुर, (आईएएनएस)| गर्मी आने के साथ ही लोगों को बिहार के मुजफ्फरपुर की रसीली और मिट्ठी लीची का इंतजार रहता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस साल लीची प्रेमियों को इस बार उसकी मिठास का आनंद देर से मिलने की आशंका है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि आमतौर पर मध्य जनवरी तक लीची के पेड़ों में मंजर आने लगते हैं और मई महीने के अंत से लीची का स्वाद लोग चखने लगते हैं, लेकिन इस साल अब तक अधिकांश लीची के पेड़ों में मंजर नहीं दिखाई दे रहे हैं।
बताया जा रहा है कि ठंड, तापमान में उतार-चढ़ाव और लगातार पछुआ हवा ने मंजर को समय से निकलने नहीं दिया।
मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक एस डी पांडेय ने कहा कि लीची में मंजर आने के लिए मौसम में तापमान की भूमिका प्रमुख होती है।
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अभी ऊंचे स्थानों पर लगे लीची के पेड़ों में मंजर आने लगे हैं, लेकिन नीचे के क्षेत्रों में लगे लीची के पेड़ों में अभी मंजर नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि लीची के जड़ों में अभी नमी की मात्रा बनी है, जिस कारण मंजर आने में थोड़ी देरी हुई है।
पांडेय ने हालांकि यह भी कहा कि इससे लीची के पैदावार या समय पर लीची की तुड़ाई नहीं होने की आशंका व्यक्त करना अभी जल्दबाजी होगी।
इधर, कहा जाता है कि लीची की फसल के लिए मध्य दिसंबर में न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस होना काफी लाभप्रद है। इस बार न्यूनतम तापमान पांच और अधिकतम तापमान 20 से 23 डिग्री सेल्सियस रहा।
जनवरी में मंजर निकलने के समय न्यूनतम तापमान 15 और अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, लेकिन अभी तक न्यूनतम तापमान औसतन सात रहा और अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया। कहा जा रहा है कि तापमान में उतार चढाव के कारण लीची में इस साल मंजर आने में देरी हो रही है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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