बिहार

मंडल कारा लखीसराय में आयोजित किया गया प्ली बार्गेनिंग विषय पर विधिक जागरूकता शिविर

Admin4
17 March 2024 9:28 AM GMT
मंडल कारा लखीसराय में आयोजित किया गया प्ली बार्गेनिंग विषय पर विधिक जागरूकता शिविर
x
लखीसराय। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार नालसा नई दिल्ली, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार बालसा पटना एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार डालसा लखीसराय के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ,सचिव अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अभिषेक कुमार मिश्रा के संयुक्त निर्देशानुसार आज मंडल कारा लखीसराय में प्ली बार्गेनिंग विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरीय निरीक्षि अधिवक्ता बासुकी नंदन सिंह एवं संचालन जेल उपाधीक्षक अरुण कुमार सिन्हा ने किया। मुख्य वक्ता प्राधिकार के रिटेनर अधिवक्ता सितेश सुधांशु ने कहा कि पहले बार्गेनिंग को हिंदी में परिभाषित किया । दंड प्रक्रिया संहिता का अध्याय 21 ए पहले बारगेनिंग से संबंधित है । इसे दंड विधि संशोधन अधिनियम 2005 द्वारा जोड़ा गया है। संशोधन द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता में जोड़े गए नए अध्याय 21 ए में धारा 265 ए से लेकर 265 एल तक कुल 12 नई धारा जोड़ी गई है। धारा 265 एक के अनुसार पहले बारगेनिंग ऐसे मामलों में लागू होता है। जिसमें 7 वर्ष तक के कारावास की सजा है तथा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के अंतर्गत प्रस्तुत पुलिस रिपोर्ट में ऐसा अपराध किया जाना प्रतीत होता है । इसके अलावा ऐसे मामलों से संबंधित परिवाद पत्र पर संज्ञान लिया गया है । दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 तथा 204 के अंतर्गत आदेश निर्गत किया गया है। धारा 265 एल के अनुसार इस अध्याय की कोई बात बाल अपराधों से जुवेनाइल जस्टिस के मामलों में लागू नहीं होते हैं ।
सुलह समझौता के आधार कम समय में मुकदमों के निस्तारण के लिए लाई गई पी बारगेनिंग के प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है । वरीय जज निरीक्षि अधिवक्ता बासुकी नंदन सिंह ने कहा कि धारा 265 बी के अनुसार पहले बारगेनिंग हेतु प्रार्थना पत्र विचरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रार्थना पत्र के इस आशय का शपथ पत्र देना होता है कि आवेदन स्वैच्छिक है और पूर्व में ऐसे अपराध में दोष सिद्ध नहीं हुआ है । ऐसे स्वैच्छिक आवेदन प्राप्त होने पर न्यायालय परिवादी अभियुक्त या लोक अभियोजक को नियत तिथि पर उपस्थित होने का नोटिस जारी करता है। पक्षकारों के आपसी सुलह समझौता के आधार पर मामले परस्पर संतोष परक निस्तारण हेतु समय सीमा निर्धारित करता है। इसमें पीड़ित पक्ष के क्षतिपूर्ति तथा अन्य खर्च अभियुक्त द्वारा देने के बिंदु पर विचार किया जा सकता है । फाइनल अधिवक्ता दिवाकर पांडेय ने कहा कि परि बारगेनिंग विधि क्षेत्र की एक नई संकल्पना है । जिसमें धारा 265 सी के अनुसार न्यायालय पुलिस रिपोर्ट से संबंधित मामले में लोक अभियोजक अन्वेषण अधिकारी अभियुक्त एवं पीड़ित पक्ष को तथा परिवाद पत्र के मामले में अभियुक्त एवं पीड़ित पक्ष को संतोष परत निस्तारण के बैठक के लिए नोटिस करता है । ऐसे बैठक में पक्षकार अपने-अपने अधिवक्ता के माध्यम से शामिल हो सकते हैं। जागरूकता शिविर में पीएलबी अजय कुमार ,कैदी पारा विधिक स्वयंसेवक जयप्रकाश सिंह ,कैदी विश्वनाथ दास ,पप्पू यादव ,सुनील मंडल, कारू कोड़ा ,मकेश्वर यादव, रवि कुमार दास , मनोज शर्मा ,रंजन कोड़ा ,गोपी कोड़ा ,निगम कुमार सुमित सहित सैकड़ो कैदी उपस्थित थे ।
Next Story