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आरजेडी के राष्ट्रीयध्यक्ष पद के लिए बुधवार को लालू प्रसाद यादव ने नामांकन कर दिया है। इस दौरान पार्टी के शीर्ष नेता मौके पर मौजूद रहे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव 10 अक्टूबर को 12वीं बार पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं। हालांकि, जनता दल से अलग होने के बाद से ही आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ही बनते आ रहे हैं।
12वीं बार चुने जाएंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए बुधवार को लालू प्रसाद यादव नामांकन करेंगे। सूत्रों की माने तो लालू के सामने पार्टी का कोई अन्य नेता नामांकन नहीं करेगा। कोई और नामांकन पत्र न होने की वजह से वे निर्विरोध निर्वाचित हो जाएंगे। जिसके बाद 10 अक्टूबर को उनके राष्ट्रीय बनने की घोषणा कर दी जाएगी। उसी दिन ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
निर्विरोध चुने जा रहे लालू यादव
जनता दल से अलग होने के बाद लालू प्रसाद यादव 1997 में पहली बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद ये लालू यादव निर्विरोध ही चुने जा रहे है। यहां तक की चारा घोटाले में सजा के बाद भी लालू निर्विरोध ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे।
दिल्ली पहुंचे चुनाव अधिकारी
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में चुनाव संबंधी पूरी प्रक्रिया होनी है। इसके लिए निर्वाचन पदाधिकारी उदय नारायण चौधरी और सहायक राष्ट्रीय मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन दिल्ली पहुंच चुके हैं। आरजेडी के बिहार के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी निर्वाचन के दौरान मौजूद रहेंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर मंगलवार को राष्ट्रीय परिषद सदस्यों की अंतिम सूची का प्रकाशन किया गया था।
RSS पर भी बैन लगाने की मांग
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को एक हिंदू चरमपंथी संगठन'बताते हुए प्रतिबंध लगाने की मांग की। प्रसाद ने यह टिप्पणी एक कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके कई सहयोगियों पर प्रतिबंध के बारे में पत्रकारों के सवालों के जवाब में की। उन्होंने कहा कि 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा का सफाया हो जाएगा।
भाजपा ने किया पलटवार
लालू के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने लालू पर वोट बैंक और छद्म धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि लालू जी का लक्ष्य पीएफआई का समर्थन कर अपने मुस्लिम आधार को मजबूत करना है। इसी कारण से वह आरएसएस और उसके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आदर्श के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते हैं।
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