केवाईसी रजिस्ट्रेशन संस्थाओं ने अधूरी केवाईसी वाले 1.3 करोड़ म्यूचुअल फंड खातों पर रोक लगाई
बेगूसराय: अधूरी केवाईसी के कारण करीब 1.3 करोड़ म्यूचुअल फंड खातों पर रोक लगा दी गई है. केवाईसी रजिस्ट्रेशन संस्थाओं की मानें तो इन खातों के निवेशकों ने प्रारंभिक केवाईसी पंजीकरण प्रक्रिया में आधार और मान्य दस्तावेजों की जगह अन्य दस्तावेज दिए थे.
2024 से लागू सेबी के नियमों के मुताबिक, लंबित केवाईसी वाले निवेशक म्यूचुअल फंड में किसी तरह की लेन-देन नहीं कर सकेंगे. इसमें नए म्यूचुअल फंड में निवेश या मौजूदा म्यूचुअल फंड से इकाइयों को भुनाना शामिल है.
पंजीकृत केवाईसी के मायने: इसका अर्थ है कि व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को जारी करने वाले प्राधिकरण द्वारा स्वतंत्र रूप से सत्यापित या मान्य नहीं किया जा सकता है. यह उन लोगों के ऊपर लागू होता है, जिन्होंने केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पते और पहचान प्रमाण के तौर पर पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र आदि आधिकारिक रूप से मान्य दस्तावेजों के अलावा दस्तावेज दिए हैं.
पुन केवाईसी कराने की जरूरत तब हुई, जब पाया गया कि कई निवेशकों की केवाईसी पैन और आधार से अपडेट नहीं थी. इनमें से कई केवाईसी में उपयोगिता बिल (बिजली, टेलीफोन), बैंक खाते का विवरण आदि के उपयोग किए गए थे. इन्हें अब सेबी द्वारा वैध दस्तावेजों के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता है. करीब 11 करोड़ निवेशकों में से 7.9 करोड़ वैध केवाईसी हैं. 1.6 करोड़ निवेशकों की केवाईसी पंजीकृत श्रेणी में है. जबकि, कुल निवेशकों में से 12 फीसदी अपने डीमैट खातों और म्यूचुअल परिसंपत्तियों का संचालन नहीं कर सकते हैं, इसलिए कोई भी लेन-देन करने से पहले म्यूचुअल फंड निवेशक के लिए केवाईसी स्थिति की जांच करना अहम है.
प्रारंभिक केवाईसी के दौरान उपलब्ध कराए गए दस्तावेज आधिकारिक रूप से मान्य दस्तावेज नहीं हैं तो केवाईसी लंबित दिखेगा. अमान्य दस्तावेजों में बैंक खाता विवरण, बिजली बिल, टेलीफोन बिल आदि हैं. इन दस्तावेजों को दिए जाने के कारण केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं होती. हालांकि केवाईसी तब भी लंबित हो सकती है, जब निवेशक का मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी मान्य न हो.