बिहार

बीएयू में 7 साल के शोध से तैयार 'कृष्णकली' बाजार में जल्द आएगा, अब बैंगन खाने से नहीं होगी एलर्जी

Renuka Sahu
25 Jun 2022 6:04 AM GMT
Krishnakali prepared after 7 years of research in BAU will soon come in the market, now there will be no allergy by eating brinjal
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फाइल फोटो 

बाजार में जल्द ही कम बीज का बैंगन सबौर कृष्णकली आएगा। सात वर्षों के शोध के बाद बीएयू के वैज्ञानिकों की यह ईजाद दो साल से कोरोना के पेच में फंसी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बाजार में जल्द ही कम बीज का बैंगन सबौर कृष्णकली आएगा। सात वर्षों के शोध के बाद बीएयू के वैज्ञानिकों की यह ईजाद दो साल से कोरोना के पेच में फंसी है। राज्य कमेटी की बैठक नहीं होने से शोध पर मंजूरी के बाद भी इसका बीज जारी नहीं हो सका। अब इसका प्रस्ताव तैयार है और रीलिज होने के बाद एलर्जी के दुर्गणों से मुक्त यह बैंगन बाजार में आ जाएगा।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय में शोध
बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने इस बैगन की एक नई किस्म ईजाद की है, जिसका नाम सबौर कृष्णकली रखा गया है। विश्वविद्यालय ने शोध को मंजूरी देकर इसे जारी कर दिया। वैज्ञानिकों का दावा है कि अपने आप में यह देश में पहली किस्म है बैंगन की। बीटी ब्रिंजल पर सरकार ने रोक लगाई तो अपने वैज्ञानिकों ने कम बीज वाले बैंगन की देशी किस्म का ईजाद कर लिया।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने सात साल के शोध के बाद इस नये किस्म के बैंगन की खोज की है। नुकसान पहुंचाने वाले बीटी के लक्षण इसमें नहीं हैं लेकिन यह भी उसकी तरह काना रोग अवरोधी है। इसके अलावा बैंगन को सड़ाने वाली फोमोसिस बीमारी भी इसमें कम होगी। खास बात यह है कि बीजों की संख्या कम होने के कारण बैंगन से एलर्जी वाले व्यक्ति भी इसका सेवन कर सकते हैं।
भरता के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त सबौर कृष्णकली बैंगन ना सिर्फ स्वाद और गुणवत्ता में बेहतर है बल्कि इसकी उत्पादकता भी अब तक प्रचलित बैगन के प्रभेदों से काफी अधिक है। इसकी उत्पादकता 430 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होगी। आमतौर सामान्य किस्म के बैंगन उत्पादकता तीन सौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही होती है। इस किस्म की खासियत यह है कि इसके 170 से 180 ग्राम साइज के फल में बीजों की अधिकतम संख्या 50 से 60 ही होती है। वीं दूसरी प्रजाति के बैंगनों में दो सौ से पांच सौ की संख्या तक बीज होते हैं।
बीजों के कारण ही होती है एलर्जी
वैज्ञानिकों ने बताया कि बैगन से आमतौर पर कई लोगों को एलर्जी होती है। लेकिन यह एलर्जी बैगन के बीजों के कारण ही होती है। ऐसे में यह कम बीज वाला बैंगन उनके लिए भी उपयुक्त होगा। इसकी खेती सामान्य बैंगन की तरह खरीफ से ठंड के मौसम तक यानी आठ महीने की जा सकती है।
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