बिहार
बिहार में दो साल बाद पूरी तरह से खाली हुआ एम्स पटना का कोविड वार्ड
Deepa Sahu
21 March 2022 8:03 AM GMT
x
दो साल बाद एम्स पटना का कोविड वार्ड पूरी तरह खाली हो गया है।
बिहार: दो साल बाद एम्स पटना का कोविड वार्ड पूरी तरह खाली हो गया है। अब यहां एक भी कोरोना पीड़ित मरीज भर्ती नहीं हैं। होली से पहले दो मरीज यहां भर्ती थे। 76 वर्षीय चंद्रदेव राय स्वस्थ होने के बाद 17 मार्च को डिस्चार्ज किए गए। वहीं पटना के पानापुर निवासी 86 वर्षीय पारस नाथ सिंह सांस की बीमारी के साथ किडनी और हृदय रोग से ग्रसित थे। पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उनकी मौत शनिवार को हो गई।
कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि कोविड की शुरुआत के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि वार्ड में एक भी मरीज भर्ती नहीं हैं। एम्स पटना में अब कोरोना की लहर पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। बताया कि एक दिन पहले 186 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट आई। उसमें एक का भी संक्रमित नहीं पाया जाना एक सुखद संकेत है। पीएमसीएच, एनएमसीएच और आईजीआईएमएस के कोविड वार्ड पहले ही खाली हो चुके हैं।
22 मार्च 2020 को मिला था पहला कोरोना संक्रमित पटना में 22 मार्च 2020 को पहला कोरोना संक्रमित मिला था। मुंगेर निवासी मो. सैफ एम्स में भर्ती कराया गया था। वहीं उसकी मौत हो गई। पटना का पहला कोरोना संक्रमित भी 22 मार्च को फुलवारी का राहुल और दीघा-कुर्जी इलाके की अनिता विनोद थी। पहली लहर के दौरान जुलाई से अक्टूबर तक कोरोना का सर्वाधिक प्रकोप था। इस दौरान एम्स को पूरी तरह कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बना दिया गया था। नवंबर से संक्रमितों की संख्या कम होने लगी। उसके बाद मार्च 2021 के अंतिम सप्ताह में कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हो गई।
अप्रैल और मई के दौरान दूसरी लहर का प्रकोप सर्वाधिक था। उस समय अस्पतालों में बेड के साथ ऑक्सीजन की कमी की समस्या भी मरीजों को झेलनी पड़ी। तीसरी लहर के दौरान ओमीक्रोन का प्रकोप रहा। पटना का इस दौरान एक दिन में सर्वाधिक 3300 संक्रमित मिलने का भी रिकॉर्ड बना। नवंबर 2021 से जनवरी 2022 तक तीसरी लहर में सर्वाधिक संक्रमित मिले लेकिन तीसरी लहर के दौरान अस्पताल जानेवाले मरीजों की संख्या बेहद कम रही।
Deepa Sahu
Next Story