बिहार
कोसी का पानी सुपौल जिले के कई गावों में घुसा, बागमती मुजफ्फरपुर के कटरा में मचा रही तबाही
Shantanu Roy
5 Aug 2022 9:21 AM GMT

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पटना। नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश की वजह से कोसी नदी में बाढ़ से तबाही शुरू हो गई है। सुपौल के निर्मली अनुमंडल क्षेत्र में कोसी तटबंध के भीतर बसे कई गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है। कई घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। पूर्वी-पश्चिमी और मुजफ्फरपुर के भी निचले इलाकों में गंडक और बागमती का पानी घुस गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ़ के कारण जगह-जगह सुरक्षा बांध और स्परों में कटाव हो रहा है। हालांकि, सुरक्षा तटबंध और स्परों पर कटाव को रोकने के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग की टीम मुस्तैद दिख रही है और जगह-जगह कटाव निरोधी काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है। नेपाल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर व्यापक स्तर पर बढ़ता जा रहा है, जिससे बाढ़ प्रभावित इलाक़े के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। घरों में पानी घुसने के बाद लोग निजी और सरकारी नाव के सहारे ऊंचे स्थान जैसे सुरक्षा तटबंध और अन्य जगहों के लिए पलायन करने लगे हैं। कोसी बैराज पर कोसी नदी का डिस्चार्ज 01 लाख 86 हजार 650 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। इंजीनियर मनोज कुमार रमन ने बताया कि सभी इंजीनियरों व कर्मियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है।
बराह क्षेत्र में 01 लाख 50 हज़ार 50 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। नेपाल से सटे अररिया जिले में सप्तकोसी नदी में पानी के बहाव में उतार-चढ़ाव जारी है। कोसी बैराज के 56 गेटों में से अब 41 गेट खोल दिये गये हैं। मुजफ्फरपुर जिले में लगातार हो रही बारिश से ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित होने लगी है। बारिश व नदी के बढ़ते जलस्तर से जिले का कटरा प्रखण्ड के पीपा पुल का पहुंच पथ पानी में डूब गया है। इलाके के लोगों का आवागमन बाधित हो गया है। बाढ़ का पानी कई गांवों में घुस गया है। इससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है। बागमती के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। दो दिनों में जलस्तर में पांच फीट पानी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ कटरा की लाइफ लाइन कहे जाने वाले पीपा पुल पर पानी आ जाने से आवागमन ठप हो गया है। रेवा घाट पर नारायणी गंडक 54.36 मीटर पर बह रही है जो खतरे के निशान से मात्र 5 सेंटीमीटर कम है। मुजफ्फरपुर शहर होकर गुजरने वाली बूढ़ी गंडक भी 50.30 मीटर पर बह रही है, जो खतरे के निशान से करीब दो सेंटीमीटर कम है। दोनों नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

Shantanu Roy
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