बिहार

जानिए बिहार में क्यों कमजोर हुआ मानसून, अभी भी बारिश की संभावना नहीं

Renuka Sahu
11 July 2022 3:34 AM GMT
Know why monsoon has weakened in Bihar, still no chance of rain
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फाइल फोटो

बिहार में इस बार मानसून का मिजाज गड़बड़ है। मौसमविदों और जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों के अध्ययनकर्ताओं ने इसके पीछे जलवायु असंतुलन को वजह माना है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में इस बार मानसून का मिजाज गड़बड़ है। मौसमविदों और जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों के अध्ययनकर्ताओं ने इसके पीछे जलवायु असंतुलन को वजह माना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हाल के वर्षों में मानसून की पहली बार यह असामान्य प्रवृत्ति दिख रही है। इसका असर यह हुआ है कि सूबे के अधिकतर जिले बारिश की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं।

अध्ययनकर्ताओं और विशेषज्ञों का कहना है कि न केवल बिहार बल्कि पूर्वी यूपी का हिस्सा भी इस बार बारिश की किल्लत से जूझ रहा है। इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसायटी के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष सह सीयूएसबी के डीन और बिहार स्टेट एक्शन प्लान ऑफ क्लाइमेट चेंज की स्टियरिंग कमेटी के सदस्य डॉ. प्रधान पार्थसारथी ने इसका वैज्ञानिक विश्लेषण कर कहा है कि यह मानसून की असामान्य प्रवृत्ति है। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन काफी हद तक जिम्मेदार हैं। इस बार मानसून की दो शाखाओं की प्रवृत्ति दो तरह की है।
डॉ. पार्थसारथी ने बारिश की भारी कमी के कारणों का विश्लेषण कर बताया कि मानसून की दो शाखाएं भारतीय भूभाग में आती हैं। एक शाखा अरब सागर की ओर से महाराष्ट्र व देश के अन्य हिस्सों में बारिश कराती है। वहीं दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी की ओर से झारखंड के छोटानागपुर होते हुए बिहार और उत्तरप्रदेश की ओर जाती है। झारखंड, बिहार और यूपी के अधिकतर भाग में मानसून की बारिश के लिये यही शाखा जिम्मेदार है।
मानसून की ट्रफ रेखा अपने स्थान से दूर
डॉ. पार्थसारथी बताते हैं कि इस बार बंगाल की खाड़ी की शाखा आरंभ से ही काफी कमजोर रही है। यही वजह है कि सूबे में बारिश की इतनी किल्लत है। इस मौसम में बारिश मानसून की ट्रफ रेखा के आसपास होती है लेकिन अब भी मानसून की ट्रफ रेखा अपने वास्तविक स्थान से दूर है और यह ओडिशा और मध्यप्रदेश की ओर है।
कम दबाव का क्षेत्र बनने का कोई चिह्नित सिस्टम नहीं दिख रहा
मौसमविद बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र मानसून की बारिश को प्रभावित करता है। यह अपने ट्रैक से भटक रहे मानसून ट्रफ को प्राकृतिक तरीके से बिहार की ओर धकेलता है और यह प्रक्रिया जून, जुलाई के महीने में बिहार और झारखंड की ओर बारिश की वजह बनती है। इस बार एक तो लो प्रेशर एरिया कम बन रहा है साथ ही साथ बनने के बावजूद इसकी मजबूती हर बार से कम है। यह भी कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में ही देखा जा रहा है। डॉ. पार्थ सारथी ने कहा कि अगले एक हफ्ते बारिश की स्थिति नहीं दिख रही है। लो प्रेशर एरिया बनने का कोई चिह्नित सिस्टम भी नहीं दिख रहा। ऐसे में मानसून यह संकेत दे रहा कि इस बार राज्य में सूखे का संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि जुलाई में बिहार के अधिकतर जिलों में सामान्य से ऊपर अधिकतम पारा बना हुआ है।
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