बिहार
कवि सम्मेलन : चेतक के टाप से गूंज उठा सदन और लोगों में भरा जोश
Shantanu Roy
25 Sep 2022 6:03 PM GMT
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बेगूसराय। राष्ट्रीय कवि संगम के बिहार प्रांतीय अधिवेशन के दौरान द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय फलक के कवियों ने काव्य पाठ कर बेगूसराय के लोगों को काव्य रस से तृप्त कर दिया। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में वीर, श्रृंगार और हास्य कविताओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। दूसरे सत्र का उद्घाटन करते हुए पूर्व मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम ने कवियों और नवोदित कवियों को एक प्लेटफार्म दिया है, यहां प्रतिभाओं को सम्मान मिलता है। छोटे-छोटे लोगों को भी यहां मंच मिलता है, जिससे उसके प्रतिभा में निखार आए। नई पौध को तैयार करने का यह संगठन बेहतर तरीके से काम करता है। मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह ने कहा कि दिनकर ने सभी काल और परिस्थितियों का वर्णन किया, दिनकर की पंक्ति हमेशा प्रासंगिक रहेगी।
दूसरे सत्र के उद्घाटन के बाद राष्ट्रीय स्तर के कवियों ने एक के बाद एक प्रस्तुति देकर दर्शकों की तालियां बटोरी। मौके पर कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साहस का वर्णन करते हुए ''कामनाओं सी धधकती है जवानी'' सुना कर मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने संदेश दिया कि ''यूं तो मेरे देश में एक नहीं हजार मोहन हुए उनमें एक मुरली बजाने वाला मोहन कृष्ण, दूसरे मोहनदास करमचंद गांधी, तीसरे मनमोहन और चौथे शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा जो दिल्ली आतंकी हमले में शहीद हुए।''
हास्य कविताओं में उन्होंने हिरनी के बिन जंगल सूना, हिरनी जैसा दौड़े कौन, घर भूखे बाघों के आगे, अपनी हिरनी छोड़े कौन, सुनाते हुए लड़कियों की सुरक्षा व्यवस्था और सामाजिक ताना-बाना पर तंग कसा। अपनी रचना पीने वाला जल ही था, नगर निगम का नल ही था, निकल के सांप गिरा टब में, पुण्य कर्म का फल ही था, सुनाकर सरकारी कार्यप्रणाली पर खूब व्यंग किया और तालियां बटोरी।
वीर रस के कवि अर्जुन सिसोदिया ने देशभक्ति पर उच्च कोटि की कविता एवं गीत प्रस्तुत की तथा अपनी पंक्ति से सराबोर कर दिया। उन्होंने मचा हुआ हाहाकार छाया घोर अंधकार, धुंधली दिशाओं को प्रकाश की जरूरत है, भारत को कल भी सुभाष की जरूरत थी, भारत को आज भी सुभाष की जरूरत है'' प्रस्तुत कर सबको झकझोर दिया। वहीं, डॉ. अजय शुक्ल अंजाम ने चेतक कविता सुनाकर पूरे सदन को जोश से भर दिया। उनकी पंक्ति ''टपटपाक टपटपाक पद चाप हुनाई देती थी, वो नीले घोड़े का सवार तूफान दिखाई देता था, जिस ओर निकल जाता चेतक शमशान बना देता था।'' उनकी पंक्ति ''कठिन परिश्रम ही जीवन मे सब खुशियां लाया करता है, चले चलो टप टप टपाक हर घोटक यह गाया करता है। बहुत तेज चलने वाला स्यंदन ''अंजाम'' भले न पाए, जिनका रथ धीरे चलता है बहुत दूर जाया करता है'' से लोगों में जोश भर गया।
दरभंगा से आए विनोद हसौड़ा ने मैथिली कविता पाठक कर लोगों का खूब हंसाया। श्रृंगार रस की कवयित्री आराधना ने मैं महकती हुई पंखुरी हो गई, जिंदगी प्रीत की अंजुली हो गई। उसकी सांसों को सांसों ने छू क्या लिया, उसके साजन की मै बांसूरी हो गई'' गाकर लोगों को भावविभोर कर दिया।
कवि प्रफुल्ल मिश्र ने सच है हम अपनी जिद पर आज भी अड़े हैं, मेरे सपने कल भी बड़े थे, आज भी बड़े थे'' पढ़कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबकि बाल कवि ''कलम वहीं जो कि करुणा, दया और प्यार लिखेंगी, कलम वहीं जो भूखे बच्चो के मन का चित्कार लिखेंगी, कलम वहीं जो वीर सैनिकों का शौर्य और त्याग लिखेंगी, कलम वहीं जो भारत मां की सदा ही जय जयकार लिखेंगी'' को लोगों ने खूब सराहा। राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता एवं संचालन डॉ. अशोक बत्रा, स्वागत भाषण लोक कवि सच्चिदानंद पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रांतीय अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय ने किया।
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