कटिहार न्यूज़: भीषण गर्मी के कारण मुख्य नदियों में गंगा, महानंदा और कोसी नदी का जलस्तर पूर्व के वर्षों की तुलना में काफी गिरावट देखी जा रही है. वहीं कारी कोसी, बरंडी और नागर नदी सूखने के कगार पर है. भीषण गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव कारी कोसी और नागर नदी पर देखने को मिल रहा है. कारी कोसी नदी के मुख्य धार का जलस्तर 6 के बदले दो से तीन फिट पानी रह गया. जबकि शहरी सुरक्षात्मक तटबंध के समीप बहने वाले कारी कोसी नदी का कछार पूरी तरह से सूख गई है. हाजीपुर से लेकर हवाई अड्डा के बीच कहीं-कहीं नदी में दो से तीन फीट पानी रह गया है. वहीं अधिकांश जगहों पर नदी सूखकर खेत खलिहान बन कर रह गई है. कहीं-कहीं पर नदी का हिस्सा पूरी तरह से कीचड़ में बदल चुकी है. पैकहा, मधुरा के लोगों ने अकमल हुसैन, मो. तारीफ, नंदकिशोर मंडल, भोला मंडल, महेश नारायण, चंचल कुमार, रामकृपाल चौहान आदि लोगों ने बताया कि पिछले 40 वर्षों में उन्होंने कभी नहीं देखा कि कारी कोसी नदी का कछार इस कदर सूख गया हो. उन्होंने कहा कि जून माह के दूसरे और अंतिम सप्ताह में जिस जगह पर लोग नाव से चलते थे. पानी को पार करते समय कंधा पर साइकिल लेकर आवागमन करते थे. उस जगह पर पानी पूरी तरह से सूख गया है. नदी के रास्ते से ट्रैक्टर, बाइक व पैदल लोग आवागमन कर रहे हैं. मधुरा की महिला पार्वती देवी, कुंती देवी, तौफिक ने बताया कि मधुरा घाट पर भी कारी कोसी के मुख्य धार में पूर्व के वर्षों की तुलना में पानी काफी कम हो गया है.
इस बार भीषण गर्मी और बारिश नहीं होने से नदी में पानी कम हो गया है और कछार पूरी तरह से सूख गया है. बारसोई प्रखंड में स्थित नागर नदी का जलस्तर में काफी गिरावट हो गई है. नदी का जलस्तर इतना कम हो गया है आसपास के लोगों को काफी परेशानी हो रही है. खेत की सिंचाई के लिए नदी का पानी उपयोग किसान नहीं कर पा रहे हैं. मो. अशरफ ने बताया कि पानी कम रहने के कारण कहीं-कहीं पर नदी जलाशय का रूप धारण कर लिया है.
पशुपालक को हो रही है भारी परेशानी रामकृपाल चौहान ने बताया कि पैकहा, बरमसिया बुद्धु चक और मधुरा में करीब 5 हजार से अधिक पशुपालक रहते हैं. खेती बारी के साथ-साथ पशुपालन कर जीवन यापन करते हैं. उन्होंने कहा कि कारी कोसी का कछार सूखने के कारण पशुओं को स्नान करने में काफी परेशानी हो रही है. पशुचारा के लिए भी काफी कठीनाई का सामना करना पड़ रहा है.
बरंडी नदी का जलस्तर मापने योग्य नहीं रह गई
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अभियंता ने बताया कि बरंडी नदी के जलस्तर में काफी गिरावट हो गई. नदी का जलस्तर इतना कम हो गया है कि अभी मापने योग्य नहीं रह गया है. अभियंता ने बताया कि हर वर्ष 15 जून के बाद नदियों का जलस्तर का मापन कार्य शुरू हो जाता था. इस वर्ष पानी कम रहने के कारण गंगा नदी का जलस्तर काढ़ागोला में, बरंडी, कारी कोसी नदी का जलस्तर मापने योग्य नहीं रह गया है.
महानंदा भी पूरी तरह सूखी
बारसोई में नागर नदी का जलस्तर काफी कम हो चुकी है कहीं तो घुटने भर है कहीं लोग पानी से आना-जाना करते हैं महानंदा नदी भी पूरी तरह से सूख चुकी है लोग नदी से एक सौ से दूसरी चोर आना-जाना कर रहे हैं वही इस संबंध में स्थानीय ग्रामीण गुलजार आलम ने बताया कि प्रखंड के सभी नदियों मैं जलस्तर नीचे पायदान में चले गए हैं लोग आसानी से नदी में एक छोर से दूसरी छोर आना-जाना करते हैं चचरी पुल को भी कहीं-कहीं पर हटा दिया गया है कहीं-कहीं पर घुटने भर पानी है