रोहतास न्यूज़: सासाराम की अंतरराज्यीय पुराना बस पड़ाव असामाजिक तत्वों का अड्डा बना है. रात तो रात दिन के उजाले में भी असामाजिक तत्व बस स्टैंड के इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं. यात्रियों की पलक झपकते ही सामान लेकर भागने की फिराक में रहते हैं. बस स्टैंड के प्रतीक्षालय में यात्री की भेष में बैठे असामाजिक तत्व की नजर हरदम यात्रियों के सामान पर रहती है. रात के अंधेरे में पूरा बस स्टैंड परिसर में असामाजिक तत्व अपना कब्जा जमा लेते हैं. वहीं असामाजिक तत्वों के अड्डे होने के कारण नशे का कारोबार भी जोर-शोर से चलता है. शाम होते ही पूरा बस स्टैंड मयखाने में तब्दील हो जाता है. जिस कारण शाम में अंधेरा होने के बाद यात्रियों को बस स्टैंड में जाने में भय लगता है.
प्रतिदिन 100 से अधिक बसों का होता है परिचालनइस बस स्टैंड से प्रतिदिन 100 से अधिक बसों का परिचालन होता है. तकरीबन पांच हजार से अधिक यात्रियों का इस बस स्टैंड से आगमन व प्रस्थान होता है. पटना, आरा, बिक्रमगंज, डेहरी, औरंगाबाद, रांची, बोकारो, कोलकाता, टाटा, रायपुर समेत अन्य स्थानों के लिए बसों का परिचालन इसी बस स्टैंड से होता है. दिन के अलावे रात्रि में भी अन्य शहरों के लिए बसों का प्रस्थान के साथ अन्य शहरों से आगमन होने के बावजूद सुरक्षा को ले कोई व्यवस्था पुलिस-प्रशासन की ओर से नहीं की गयी है. जिससे रात में यहां आने वाले यात्री अपने आप को असुरक्षित समझते हैं. सबसे ज्यादा भय अकेले सफर करने वाली महिलाओं को होती है.
अब तक नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे
बस स्टैंड के रख-रखाव की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है. नगर निगम द्वारा लगभग तीन करोड़ खर्च करके शहर की विभिन्न चौक चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. ताकि शहरवासियों की सुरक्षा की जा सके. लेकिन, जिस बस स्टैंड पर प्रतिदिन पांच हजार से अधिक यात्रियों का आगमन व प्रस्थान होता है और जिस बस स्टैंड की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है.
बस स्टैंड की हालात का स्वयं मैने जायजा लिया है. इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है. यात्री सुविधाओं पर सबसे पहले कार्य होगा.
सत्यप्रकाश शर्मा ,नगर आयुक्त,नगर निगम
यात्री सुविधाओं से भी है महरूम:
पुरानी बस स्टैंड यात्री सुविधाओं से भी महरूम है. यात्रियों के लिए बनाए गए प्रतीक्षालय में गंदगी का अंबार लगा रहता है. यात्री मजबूरन उसी प्रतीक्षालय में बैठ बस का इंतजार करने पर मजबूर होते हैं. प्रतीक्षालय पुराना होने के साथ जर्जर भी हो गया है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में यात्रियों को उठानी पड़ती है. प्रतीक्षालय की छत से टपकते हुए पानी के बीच ही बैठ बसों का इंतजार करना पड़ता है. बस स्टैंड में बने शौचालय की भी स्थिति काफी दायनीय है. पुरूष तो किसी तरह इधर-उधर जाकर शौच कर लेते हैं. लेकिन, सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है. महिलाएं किसी प्रकार नाक पर रूमाल रख उसी शौचालय में जाने पर मजबूर होती हैं.