बिहार

कॉपी-किताब और स्टेशनरी पर भी महंगाई की मार, 20 फीसदी तक बढ़ गए दाम

Renuka Sahu
19 Aug 2022 1:34 AM GMT
Inflation hit on copy books and stationery too, prices increased by 20 percent
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फाइल फोटो 

स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है। कागज और कच्चे माल की लागत बढ़ने से कॉपी-किताब और स्टेशनरी की कीमतों में एक बार फिर 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है। कागज की कीमतों में बढ़ोतरी का असर किताबों पर भी पड़ रहा है। कारोबारी इसके लिए स्टेशनरी सामान पर महंगाई, कॉपी-किताब, स्टेशनरी, जीएसटी, आज का बिहार समाचार, आज की हिंदी खबर, आज की महत्वपूर्ण बिहार समाचार, ताजा खबर, बिहार लेटेस्ट न्यूज़, बिहार न्यूज़, जनता से रिश्ता हिंदी न्यूज़, हिंदी न्यूज़, jantaserishta hindi news, inflation, copy-book, stationery, gst, today's bihar news, today's hindi news, today's important bihar news, latest news, bihar latest news, bihar news,

बढ़ोतरी को मुख्य कारण बता रहे हैं। कॉपी-किताबों के लिए जरूरी कच्ची लुगदी की बाजार में कमी हो गई है। इस कारण भी कीमतों में इजाफा हो रहा है।

बिहार की राजधानी पटना में कॉपियों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ब्रांडेड कंपनियों ने कॉपियों की पृष्ठ संख्या कम करने के साथ ही इसकी लंबाई और चौड़ाई तक कम करने लगे हैं। 128 पेज की कॉपी अब 120 पेज की हो गई है। 64 पेज की कॉपी की पृष्ठ संख्या घटकर 48 पेज रह गई है। इसी तरह 64 पेज की कॉपी पहले 10 रुपये में मिलती थी वहीं अब 48 पेज के कॉपी की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गयी है। रफ पेज की कॉपियों की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। 80 रुपये में मिलने वाली रफ कॉपी की कीमत 100 रुपये हो गयी है। कारोबारी बताते हैं कि किताबों की कीमत भी पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है।
पेंसिल-कलम की कीमतें भी बढ़ीं
पेंसिल, शार्पनर, स्याही और कलम पर पहले 12 प्रतिशत जीएसटी की दर बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी गई। इसके कारण पांच रुपये में मिलने वाली पेंसिल की कीमत 6 रुपये हो गई है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाली कलम की कीमत बढ़कर 15 रुपये हो गई है। वहीं 10 रुपये में मिलने वाले रबड़ की कीमत अप्रैल में ही 15 रुपये हुई है। इसी तरह 60 रुपये में मिलने वाला स्केच पेन की कीमत बढ़कर 80 रुपये हो गई है। मार्कर की कीमत भी 55 रुपये से बढ़कर 70 रुपये पहुंच गयी है। स्टेशनरी कारोबारी बबलू कुमार कहते हैं कि अभी ब्रांडेंड कंपनियों की कीमतें नहीं बढ़ी है। आने वाले दिनों में कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है।
लुगदी की कमी
उद्यमी दीपशिखा कहती हैं कि कोरोना के बाद से ही कागज उद्योग को लुगदी की कमी से जूझना पड़ रहा था अभी पॉलिथीन बंद होने से अखबारी कागज से बड़ी संख्या में ठोंगा बनने लगा है। इसके कारण लुगदी का ज्यादा अभाव हो गया है। कई मिलों में लुगदी नहीं मिलने के कारण कागज मिल अपनी क्षमता से आधा उत्पादन कर रहे है। इन्हें लुगदी को ऊंचे दाम में खरीदने से उत्पादन लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसके कारण कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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