पटना न्यूज़: देश भर में फैली मंहगाई के लिए केंद्र सरकार को दोषी बताते हुए जदयू नेता व इस्लामपुर के पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने आज कहा है कि आज देश भर में सबसे बड़ा मुद्दा मंहगाई है, जिससे गरीब, मजदूर, दलित, किसान और आम आदमी बुरी तरह पीड़ित हैं. केंद्र सरकार यदि चाहे तो तुरंत इसपर लगाम लगा सकती है लेकिन सरकार इस इतने गंभीर मुद्दे पर आंखे मूंदे बैठी है. उन्होंने कहा कि मंहगाई के लिए केंद्र अब कोरोना का बहाना भी नहीं बना सकता। उनके खुद के नेताओं के बयानों पर गौर करें तो पता चलता है कि देश की व्यवसायिक गतिविधियां अब कोरोना आपदा से उबर चुकी हैं। लेकिन सरकार जनता को राहत पहुंचाने की बजाए पूंजीपतियों का घाटा पूरा करने में जुटी हुई है। गरीबों को ढंग से खाने-पीने और बाल बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के खर्चे पूरे करने में भी पसीने छूट रहे हैं वहीं केंद्र सरकार आम लोगों के इन संकटों से बेपरवाह सी बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार चाहे तो इंटरेस्ट रेट कम कर के लोगों के पैसे बचवा सकती है। इससे बाजार में पूंजी का प्रवाह भी बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। उत्पादन बढ़ेगा तो सामान भी सस्ते होंगे। लेकिन सरकार का ध्यान पूंजीपतियों से हट नहीं रहा। जदयू नेता ने कहा कि मंहगाई की एक बड़ी वजह पेट्रोल-डीजल के बढे दाम भी हैं। केंद्र सरकार को यदि मंहगाई कम करने की थोड़ी सी भी चिंता होती तो वह सबसे पहले पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस आदि के दाम करने पर ध्यान दे रही होती। गौरतलब हो कि पेट्रोल-डीजल के दामों का मंहगाई से सीधा संबंध होता है। इनके दाम बढ़ते ही माल ढुलाई, उत्पादन, परिवहन आदि सबका खर्च बढ़ जाता है, जिसका सीधा असर उपभोक्ता की जेब पर पड़ता है। डीजल के दाम बढ़ने से सिंचाई, जुताई, कटाई आदि का खर्च भी बढ़ जाता है, जिससे खाद्य पदार्थ मंहगे हो जाते हैं। आज जब कच्चे तेल की कीमतों में पिछले 7 महीनों में 32ः की गिरावट हुई है, तब सरकार यदि चाहती तो पेट्रोल के दामों में लगभग 18 रु की कमी कर सकती थी। इसी तरह डीजल व रसोई गैस के दाम भी कम किये जा सकते थे। किन्तु सरकार अपनी आंखे मूंदे बैठी हुई है, जिससे पेट्रोल कंपनियों को रोजाना करोड़ों रुपयों का लाभ मिल रहा है। दूसरी तरफ आम जनता मंहगाई की चक्की में पीस रही है।