बिहार

भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच द्वारा जलवायु अनुकूल गांवों के निर्माण के लिए बैठक आयोजित

Shantanu Roy
21 Oct 2022 4:56 PM GMT
भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच द्वारा जलवायु अनुकूल गांवों के निर्माण के लिए बैठक आयोजित
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सुपौल। सुपौल जिला के सरायगढ़ भपटियाही स्थित जेपी होटल पैलेस में द एशिया फाउंडेशन के सहयोग से बिहार में जलवायु अनुकूल गांवों के निर्माण के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में गोरखपुर एनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप और एशिया फाउंडेशन के तहत भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच संवाद द्वारा जलवायु परिवर्तन व आपदा जोखिम न्यूनीकरण के परिपेक्ष्य में सुरक्षित ग्राम व प्राकृतिक कृषि आधारित समाधान विषय पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला में इन्वायरनमेंटल एक्शन ग्रुप गोरखपुर द्वारा द एशिया फाउंडेशन के सहयोग से "जलवायु परिवर्तन व आपदा जोखिम न्यूनीकरण के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षित ग्राम व प्रकृति आधारित समाधान" विषय पर भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच संवाद का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कोशी बेसिन क्षेत्र के दोनों देशों के नागरिकों ने जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर अपने अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम की शुरुआत में भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच की ओर से नेपाल के सप्तरी जिले से आये सामाजिक कार्यकर्ता देवनारायण यादव ने कहा कि कोसी की बाढ़ और बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंध निर्माण से उपजी त्रासदी से दोनों देशों के नागरिक समान रूप से प्रभावित हैं।
इसीलिए हमलोगों ने इस मंच को बनाया ताकि हम एक जगह बैठकर नागरिक समाज की ओर से पहल ले सकें, एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें। उन्होंने बताया कि नेपाल के 30 गाँवों में जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए ग्राम स्तर पर आपदा प्रबंधन की योजना से लेकर अनुकूल खेती सहित प्राकृतिक समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं। गोरखपुर इनवायरमेंटल एक्शन ग्रुप के विजय पांडेय ने सुपौल जिले के निर्मली ब्लॉक के पाँच गांवों- बथनाहा, सिकरहट्टा, दीघिया, बेला शृंगार मोती और थरिया में जलवायु अनुकूल एवं सुरक्षित खेती, पारिस्थितकी तंत्र सेवाएँ और ग्राम आपदा प्रबंधन योजना निर्माण के बारे में बताते हुए कहा कि इन गांवों में आपदा और उनसे होने जोखिम की समझ विकसित करने, उपलब्ध मानव संसाधन, भौतिक और प्राकृतिक संसाधनों की क्षमता व दक्षता का उपयोग करते हुए सुरक्षित ग्राम आपदा प्रबंधन योजना का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने जलवायु अनुकूल सुरक्षित खेती के लिए इन गाँवों में मचान खेती, जूट बैग विधि, मिश्रित फसल, जैविक खाद एवं की के प्रोत्साहन, मौसम पूर्वानुमान के बारे में किए गये कार्यों और इससे होने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम में थरिया गाँव की ललिता देवी, डगमारा के वंश नारायण मेहता, दिघीया के पूर्व सरपंच रामजी ने मचान खेती, जूट विधि से मानसून अवधि में सब्जी की खेती, जलकुंभी से कंपोस्ट खाद बनाने, मटका खाद, सुरक्षा बांध निर्माण, चचरी पुल बनाने के संबंध में अपने और ग्रामवासियों के अनुभव की जानकारी दी और बताया कि इन प्रयोगों ने उन्हें बाढ़ व जलजमाव से होने वाले नुकसान को न सिर्फ़ कम किया बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ाने में कामयाब हुए। इस बैठक की अध्यक्षता देवनारायण यादव ने की। कार्यक्रम का संचालन एनवायरनमेंटल एक्शन ग्रुप के रवि मिश्रा तथा विजय पांडे ने कोऑर्डिनेटर की जिम्मेवारी निभाई। विशेषज्ञों ने आपदा व सुरक्षित ग्राम पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। इस अवसर पर इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी सुपौल के अध्यक्ष राम कुमार चौधरी, कोशी प्रहरी के अध्यक्ष प्रमोद कुमार यादव, सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर, शंभू चौधरी, आपदा प्रबंधन पर कार्य करने वाले प्रशांत कुमार सिंह, डगमारा के पूर्व मुखिया रवींद्र कामत, देवप्रकाश यादव, भारत-नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच की रेखा कुमारी साह ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में आसपास के ग्रामीण शामिल हुए।
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