पटना न्यूज़: राज्य में पिछले वर्ष की तुलना में पुलिस पर हमले की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2020 में ऐसी 340 घटनाएं हुईं थीं, जो 2022 में बढ़कर 450 हो गई. ज्यादातर हमले अवैध शराब और कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए की जाने वाली छापेमारी के दौरान होती हैं. यह जानकारी एडीजी (विधि-व्यवस्था) संजय कुमार सिंह ने पुलिस मुख्यालय के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी.
उन्होंने ऐसी घटनाओं के प्रति चिंता जताते हुए कहा कि इसके लिए दोषी लोगों पर लगातार कार्रवाई की जाती है. पिछले वर्ष 6 हजार लोगों की गिरफ्तारी इस आरोप में की गई थी. सभी जिलों को खासतौर से निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी घटनाओं में सभी मुख्य लोगों की पहचान कर नामजद अभियुक्त बनाकर एफआईआर दर्ज कराई जाए. कहा कि किसी तरह का अपराध करके कोई बच नहीं सकता है.
सांप्रदायिक हिंसा में गिरावट एडीजी ने कहा कि राज्य में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है. सांप्रदायिक हिंसा में गिरावट दर्ज की गई है. इसकी 2021 में 44 और 2022 में 12 घटनाएं हुईं थी. दंगे के मामलों में भी कमी आई, 2018 में 10 हजार घटनाएं हुई थीं, जो 2020 में घटकर 4 हजार हो गई. संगीन मामलों के फरार चल रहे अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पूरे राज्य में गठित वज्र टीम के अभियान से काफी सफलता मिली है. पिछले वर्ष 81 हजार से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी की गई.
छिनैती, चोरी की घटनाओं में भी कमी उन्होंने कहा कि राज्य में एक हजार एक स्थानों को चिह्नित करके थानों को पेट्रोलिंग करने का टास्क निर्धारित किया गया था. इससे छिनैती, चोरी की घटनाओं में काफी कमी आई है. इसमें अच्छा काम करने वाले 1400 पुलिस कर्मियों को सम्मानित किया गया है. जबकि लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई भी की गई है.
18 हथियारों के लाइसेंस रद्द किए गए उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में फर्जी वीडियो और अन्य तरीकों से उन्माद फैलाने की लगातार कोशिश करते रहते हैं. ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है. हर्ष फायरिंग की घटनाओं पर एडीजी ने कहा कि 2022 में 99 घटनाएं हुई थीं, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी. 127 लोगों की गिरफ्तारी की गई और 18 हथियारों के लाइसेंस रद्द किए गए.