वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों व इंसानों में संघर्ष टालने के होंगे उपाय, नरभक्षी बाघ को मारी गई गोली
नरभक्षी बाघ को आठ अक्तूबर को बगहा के जंगल में गोली मार दी थी। उसकी हत्या का आदेश सरकारी प्रक्रिया के अनुसार जारी किया गया था। इससे पहले जांच में यह पुष्टि की गई थी कि वह मानव आबादी क्षेत्र में रहने का आदी था और नरभक्षी हो गया था।
बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बाघों व मनुष्यों के बीच संघर्ष राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस बाघ अभयारण्य में बिहार के 50 में से 40 बाघ रहते हैं और यहां वन्य जीवों और जंगल में रहने वालों के बीच संघर्ष की खबरें आती रहती हैं।
बिहार में 2014 में 32 बाघ थे, जो 2018 में बढ़कर 50 हो गए। 2022 की गणना अभी पूरी होना है और विशेषज्ञों का अनुमान है कि बाघों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि वन विभाग ने वीटीआर में और उसके आसपास मानव-पशु संघर्ष की जांच के लिए पर्याप्त और प्रभावी उपाय किए हैं। इस अभयारण्य में नौ लोगों को मारने के बाद एक बाघ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
नरभक्षी हो गया था बाघ, इसलिए मारी गोली
बिहार वन विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि उक्त बाघ ने पश्चिमी चंपारण इलाके में आतंक मचा रखा था। उसके हमले में लोगों की जान जाना बेहद दुखद है। इसके साथ ही बाघ की हत्या के महिमामंडन का भी कोई मतलब नहीं है।
नरभक्षी बाघ को आठ अक्तूबर को बगहा के जंगल में हैदराबाद और पटना से लाए गए वन कर्मियों की एक टीम ने गोली मार दी थी। उसकी हत्या का आदेश सरकारी प्रक्रिया के अनुसार जारी किया गया था। इससे पहले जांच में यह पुष्टि की गई थी कि वह मानव आबादी क्षेत्र में रहने का आदी था और नरभक्षी हो गया था।