बिहार

बलात्कार के मामले में अररिया सिविल कोर्ट ने रेप के दोषी को 85 दिनों में सुनाया फैसला, दी अंतिम सांस तक कारावास की सजा

Renuka Sahu
16 Dec 2021 6:21 AM GMT
बलात्कार के मामले में अररिया सिविल कोर्ट ने रेप के दोषी को 85 दिनों में सुनाया फैसला, दी अंतिम सांस तक कारावास की सजा
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फाइल फोटो 

अररिया सिविल कोर्ट में दुष्कर्म के एक मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के महज 85 दिनों में ही आरोपी को सजा सुनाई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अररिया सिविल कोर्ट में दुष्कर्म के एक मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के महज 85 दिनों में ही आरोपी को सजा सुनाई है। मामला आठ वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म का है जिसमें एडीजे-6 सह पॉक्सो एक्ट के स्पेशल जज शशिकांत राय ने आरोपी को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास के साथ-साथ 10 हजार रुपये आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।

वहीं पीड़िता को 10 लाख रुपये डीएलएसए के माध्यम से आर्थिक मदद देने का आदेश भी दिया है। आरोपी युवक राज कुमार यादव कुआड़ी का रहने वाला है। पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पीपी डॉ श्याम लाल यादव ने बताया कि कुआड़ी थाना क्षेत्र में 22 सितंबर 2021 को शाम छह बजे आरोपी ने चॉकलेट के बहाने से बच्ची को बाहर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसके बाद घायल बच्ची का ग्रामीणों ने अस्पताल में इलाज करवाया। वहां बच्ची ने पुलिस के समक्ष बयान दिया कि राज कुमार यादव ने उसके साथ दुष्कर्म किया है। इसके बाद आरोपी पर महिला थाना में धारा 376 भादवि एवं 4 पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। केस की अनुसंधानकर्ता महिला थाना की पुलिस अवर निरीक्षक अनिमा कुमारी को प्रतिनियुक्त किया गया।

अनिमा कुमारी ने न केवल आरोपी राज कुमार यादव को गिरफ्तार किया, बल्कि दो माह के भीतर ही चार्जशीट तैयार कर 22 नवंबर 2021 को न्यायालय में जमा कर दी। आरोपी की ओर से कोर्ट द्वारा बचाव पक्ष के अधिवक्ता के रूप में कुमारी वीणा की प्रतिनियिुक्त की गई।
मामले में न्यायाधीश राय ने 14 दिसंबर को ही आरोपी के विरुद्ध भादवि की धारा 376 एवं 4 पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत संज्ञान लिया तथा 15 दिसंबर को आरोप गठन करते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 8 गवाहों की गवाही कराई गई। इसमें पीड़िता, पीड़िता के माता-पिता ग्रामीण सहित डॉक्टर, एएनएम व अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारी शामिल हुए।
सबने घटना का समर्थन किया। इसके बाद सजा के बिंदु पर पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पीपी डॉ श्याम लाल यादव ने सजा-ए-मौत देने की अपील की। जबकि बचाव पक्ष की अधिवक्ता ने कम से कम सजा देने की गुहार लगाई। दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद न्यायालय के न्यायाधीश शशिकांत राय ने आरोपी की सजा मुर्करर की।
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