चंडी में स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल में हाइड्रोपोनिक यूनिट लगायी गयी
नालंदा न्यूज़: सूबे के इकलौते चंडी में स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (सीओई) में हाइड्रोपोनिक यूनिट लगायी गयी है. इसमें बिना मिट्टी के सालोंभर खेती होनी है. ट्रायल के तौर पर मई में पांच वेरायटी की पत्तेदार सब्जियों के पौधे लगाये गये थे.
लेकिन, जून में लगातार कई दिनों तक अप्रत्याशित गर्मी और पारा 43 डिग्री के पार पहुंचा तो हाइटेक नर्सरी भी तापमान को बनाये रखने में फेल हो गयी. नतीजा, तीन वेरायटी के करीब 50 फीसद पौधे सूख गये हैं. अब फिर से नये पौधे लगाने की तैयारी में विभाग जुटा है. 1000 वर्ग मीटर में बनाये गये हाइड्रोपोनिक यूनिट में 12 हजार पौधे लगाने की क्षमता है. एजेंसी के माध्यम से पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर शुरुआत में करीब आठ हजार पौधे लगाये गये थे.
लेकिन, तापमान वृद्धि होने की वजह से लेट्यूस (सलाद के पत्ते), पाकचोयी (पत्तेदार सब्जी) और कोरिएंडर (धनिया) के पौधे आधे से अधिक सूख गये हैं. थोड़ी राहत यह कि तुलसी और पुदीना के पौधे बचे हैं. चंडी के बीएचओ (प्रखंड उद्यान पदाधिकारी) पवन कुमार पंकज कहते हैं कि मौसम का साथ मिलता तो पौधे 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाते. लेकिन, जून में आग उगलती गर्मी ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. पौधों को काफी नुकसान पहुंचा है.
बढ़ा तापमान तो झुलस गये पौधे हाइड्रोपोनिक यूनिट में अधिकतम 35 डिग्री तापमान रहना चाहिए. जबकि, पानी का तापमान 18 डिग्री से ज्यादा नहीं होना चाहिए. फैनपैड सिस्टम से नर्सरी के अंदर के तापमान को पौधों के अनुकूल रखा जाता है. समस्या यह कि अधिकतम पांच से सात डिग्री तक ही बाहरी की अपेक्षा अंदर के तापमान में इस सिस्टम से कम किया जा सकता है. लेकिन, इसके लिए नियमित बिजली की आवश्यकता भी है. जून में गर्मी परवान पर थी तो बिजली की ट्रीपिंग की समस्या बढ़ी. निर्बाध बिजली न मिलने के कारण फैनपैड सिस्टम भी फेल हो गया. आसमान से बरसती ‘आग’ से निपटने के लिए जेनसेट से मदद ली गयी. परंतु, वह भी नाकाफी साबित हुआ.
सितंबर से एरोपॉनिक यूनिट करने लगेगी कामसेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (सीओई) में एरोपॉनिक यूनिट भी बनायी जा रही है. सितंबर से बिना मिट्टी के हवा में आलू के बीज तैयार होने लगेंगे. रोगरहित आलू के बीज सूबे के किसानों को अनुदान पर दिया जाएगा.
पारंपरिक खेती के मुकाबले इस तकनीक से तैयार बीज से 10 गुना अधिक उपज मिलती है. एरोपॉनिक यूनिट में फाउंडेशन के बाद ग्रीन हाउस बना दिया गया है. खास यह कि एरोपॉनिक यूनिट में जब आलू के बीज मटर दाने के हो जाएंगे तो इसे नालंदा के अस्थावां व राजगीर, छपरा के जलालपुर और सीवान की नर्सरियों (मिट्टी) में लगाया जाएगा.
बीज का आकार थोड़ा बड़ा होने पर किसानों को दिया जाएगा.