बिहार के छपरा का कोपा मरहा नदी का कब्रिस्तान इलाका. वहां कुछ महिलाएं लकड़ियां चुनने पहुंची. इस दौरान जब वह ताजा खुदी मिट्टी के पास से गुजरी तो वहां की मिट्टी हिलने लगी. इसे देखकर महिलाएं डर गईं. फिर भी कुछ महिलाओं ने हिम्मत करके जमीन खोदा तो अंदर से एक तीन साल की मासूम निकली. जैसे ही महिलाओं ने मासूम को मिट्टी से निकाला वह लंबी- लंबी सांसें लेने लगी.
बच्ची के मुंह में मिट्टी भरा था. वह जोर-जोर से दम भर रही थी. चीत्कार मार-मार कर रो रही थी. तब महिलाओं ने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया, फिर पानी पिलाया. जिसके बाद लाली की सांसे थोड़ी सामान्य हुई. इसके बाद महिलाओं ने तीन साल की मासूम बच्ची से उसका नाम पूछा तो बच्ची ने अपना नाम लाली बताया.साथ ही लाली ने अपनी तोतली जुबान से जो बताया उसे सुनकर इंसानियत शर्मसार हो जाएगी. उसे सुनकर वह कथन भी झूठा हो जाएगा कि माता कभी कुमाता नहीं हो सकती है. लाली की बातें सुनकर वह दावा भी खोखला लगेगा कि अब बेटे और बेटियों में कोई अंतर नहीं रहा.