बिहार

बदलते समाजिक परिवेश में योग साधना से मानव मात्र का कल्याण संभव - कुलपति मुरली मनोहर पाठक

Shantanu Roy
15 Sep 2022 5:52 PM GMT
बदलते समाजिक परिवेश में योग साधना से मानव मात्र का कल्याण संभव - कुलपति मुरली मनोहर पाठक
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बड़ी खबर
मधुुबनी। पातंजल योगसूत्र व्यासभाष्य के विभूति पाद से संबंधित दस दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन गुरुवार को सीएम कालेज के सभागार में किया गया। अवसर पर कुलपति प्रो मुरली मनोहर पाठक ने कहा कि बदलते समाजिक परिवेश में योग साधना से मानव मात्र का कल्याण संभव है।कार्यक्रम में योग द्वारा सभी प्रकार के तनाव से मुक्ति की चर्चा प्राचार्य डॉ अनिल कुमार मंडल ने किया। अवसर पर प्रो मार्कण्डेय तिवारी ने कहा कि योग साधना सभी प्रकार का ऐश्वर्य प्रदान करता है।योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है । प्राचीन काल में ही इसके महत्व को समझकर इसे भारतीय ऋषि मुनियों ने अपने जीवन शैली का अंग बना लिया । इस पर गहन विचार विमर्श करते हुए महर्षि पतंजलि ने आज से लगभग तीन हजार साल पहले योगसूत्र का निर्माण किया।
इसी कारण आज भी पूरे विश्व में योग का अद्भुत प्रचार प्रसार हो रहा है, उक्त बातें सीएम कॉलेज दरभंगा में हुए पातंजल योगसूत्र व्यासभाष्य के विभूति पाद से संबंधित दस दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुरली मनोहर पाठक ने कहा । आभासी रूप से मुख्य अतिथि में जुड़े प्रो. पाठक ने योग एवं योगसूत्र के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. अनिल कुमार मंडल ने वर्तमान समय में तनाव पूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने हेतु योग को सर्वोत्तम साधन होने पर बल दिया । उन्होंने कहा आज का समाज यदि अपने व्यस्ततम जीवन शैली में योग के लिए कुछ समय प्रतिदिन दे, तो निश्चित रूप से जीवन में किसी प्रकार का तनाव नहीं रहेगा । विषय प्रवेश करवाते हुए सांख्ययोग विभागाध्यक्ष प्रो. मार्कण्डेय नाथ तिवारी ने कहा कि योग की क्रिया में सैद्धांतिक पक्ष को जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए योगसूत्र के अक्षरश: अध्यापन हेतु इस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है । कार्यशाला में अध्यापन हेतु दस दिनों तक भारतवर्ष के सुविख्यात विद्वान लोग उपस्थित होंगे । जिसका साक्षात लाभ इसमें जुड़े प्रतिभागियों को मिलेगा ।
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