बिहार

राष्ट्रपति चुनीं गईं तो ऐसा रहा इनका रिएक्शन

Admin4
22 July 2022 12:42 PM GMT
राष्ट्रपति चुनीं गईं तो ऐसा रहा इनका रिएक्शन
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पटना. देश की अगली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चुन ली गईं हैं, जैसे ही ये खबर आई वैसे ही बधाई देने वालों का तांता लग गया. हर तरफ से राष्ट्र ॉपति बनने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई व शुभकामनाएं मिल रही थीं. इन्हीं बधाई देने वालों में बिहार के भी कुछ ऐसे माननीय थे जिनके उत्साह ने द्रौपदी मुर्मू की जीत के उत्साह को और बढ़ा दिया था. दरअसल, बिहार के तीन ऐसे माननीय नेता थे जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों और तबीयत खराब होने के बावजूद पहली बार देश के लिए आदिवासी महिला राष्ट्रपति चुनने को लेकर हो रहे मतदान में हिस्सा लिया और अपना वोट देकर देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था.

वशिष्ठ नारायण सिंह: JDU के राज्यसभा सांसद बेहद बीमार थे. वे अपना इलाज दिल्ली AIIMS में करवा रहे हैं. राष्ट्रपति चुनाव के दिन 18 जुलाई को उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. बावजूद इसके जब मतदान शुरू हुआ तो उन्होंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से इच्छा जताई कि वे भी वोट कास्ट करना चाहते हैं और इस ऐतिहासिक अवसर का भागीदार बनना चाहते हैं.

उनकी इच्छा और उत्साह को देखते हुए ललन सिंह उन्हें एंबुलेंस से लेकर गए और वोट दिलवाया. जब राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत हो गई तो वशिष्ठ नारायण सिंह बेहद उत्साहित दिखे और कहा कि देश को पहली बार आदिवासी समाज से कोई महिला राष्ट्रपति मिली हैं, ये देश के लिए महत्वपूर्ण है. द्रौपदी मुर्मू जी की जीत देश के लिए प्रेरणा का काम करेगा.मिथिलेश कुमार: भारत के सर्वोच्च संवैधानिक राष्ट्रपति पद के चुनाव में सीतामढ़ी के भाजपा विधायक मिथलेश कुमार के उत्साह की भी खूब चर्चा हुई. एक एक्सीडेंट में बुरी तरह से घायल होने के बावजूद अस्पताल में भर्ती होते हुए भी उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान किया. दरअसल, अस्पताल के बिस्तर पर होने के बावजूद वे अपने आपको रोक नहीं पाए और चिकित्सकों के मना करने के बाद भी उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को वोट दे दिया.

डॉक्टरों ने कहा था कि उन्हें ज्यादा हिलना डुलना नहीं है क्योंकि इससे समस्या बढ़ सकती है. बावजूद इसके वे स्ट्रेचर की मदद से विधानसभा पहुंच गए और मतदान किया. अब जब चुनाव परिणाम आ गया है तो मिथिलेश कुमार बेहद उत्साहित हैं और कहते हैं कि मतदान से जरुरी कुछ भी नहीं. वह भी तब जब देश को पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही हों तो भला मै कैसे पीछे रह जाते. सीतामढ़ी की जनता ने वोट किया था और उसी फर्ज को निभाने के लिए वोट दे आया.

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