भागलपुर न्यूज़: गोदना गुदवाने की परंपरा और नई पीढ़ी का टैटू बनवाने का शौक जिले की आधी आबादी को हेपेटाइटिस का शिकार बना रहा है. ज्यादातर महिलाओं को हेपेटाइटिस होने की जानकारी तब मालूम होती है, जब वे मां बनने जा रही होती हैं. ऐसे में महिलाओं के गर्भ में पल रहे उनके बच्चों को भी हेपेटाइटिस होने का खतरा होता है.
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में जनवरी से जून 2023 के बीच 913 महिलाएं प्रसव के लिए आईं. इन महिलाओं का जब क्लीनिकल पैथोलॉजी में हेपेटाइटिस जांच कराई गई तो 17 महिलाएं हेपेटाइटिस की संक्रमित मिलीं. क्लीनिकल पैथोलॉजी के प्रभारी डॉ. सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि हेपेटाइटिस संक्रमित 17 प्रसूताओं में से नौ महिलाओं ने गुदना गुदवा रखा था या फिर उनके हाथों या अन्य अंगों में टैटू बना हुआ था.
पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल में है परंपरा स्त्रत्त्ी रोग एवं प्रसव विशेषज्ञ डॉ. ज्योति बताती हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में युवतियां टैटू पसंद करती हैं. पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के कई क्षेत्रों में यह परंपरा के रूप में शामिल हैं. विवाह तय होने, बालिग होने पर गोदना गुदवाया जाता है. यहां तक हरेक बेटी जब बालिग या किशोरावस्था में पहुंचती हैं तो उसके कान व नाक को छिदवाया जाता है. अभी हेपेटाइटिस संक्रमित महिलाओं में 52 प्रतिशत महिलाओं की उम्र 18 से 30 साल के बीच मिल रही है. गांव में गोदने वाले कलाकार मशीन में एक ही सूई से कई महिलाओं का टैटू बनाते हैं.