सिवान न्यूज़: जले में एईएस व जेई से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग सर्तक है. चमकी बुखार व जेई से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है.
बताया गया कि 01 से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चों में इसके होने की संभावना काफी अधिक होती है. तेज बुखार, चमकी व यादास्त की कमी इसका मुख्य लक्षण है. इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर फौरन सरकारी अस्पताल में पहुंचकर उसका इलाज कराए. इलाज से चमकी बुखार को ठीक किया जा सकता है. सदर अस्पताल में भी चमकी बुखार से निपटने के लिए एक अलग वार्ड बनाया गया है. वहीं इलाज के लिए उपकरण और दवा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करायी जा रही है. जिले की सभी आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से एईएस किट दी गयी है. जिसमें पैरासिटामोटल टैबलेट, ओआरएस का पैकेट व प्रचार सामग्री है. ताकि किसी बच्चें की तबीयत खराब हो और चमकी बुखार के लक्षण दिखे तो बताये गये डोज के हिसाब से आशा कार्यकर्ता दवा देगी और तुरंत उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती करायेंगी.हालांकि कुछ एहतियात बरतकर इस बीमारी से बच्चों को बताया जा सकता है. सदर अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर मो. इसराइल ने बताया कि पिछले वर्ष चमकी बुखार के कई मरीज मिले थे. लिहाजा इस बार भी इस तरह की बीमारी को लेकर पहले से ही सर्तकता अपनायी जा रही है. अप्रैल से लेकर जुलाई महीने तक इसका पीक टाइम माना जाता है.
इन बातों का रखें ध्यान
अपने-अपने बच्चों को रात में बिना खाना खिलाएं नहीं सोने दें.
अगर कोई बच्चा शाम के समय में खाना खाकर सो गया है तो उसे भी रात में जगाकर अवश्य खाना खिलाएं.
बच्चों को रात में सोते समय अनिवार्य रूप से मीठा सामग्री यथा-गुड़, चीनी आदि खिलाएं.
चमकी बुखार अधिकांशत रात के 02 बजे से 04 बजे के बीच आक्रामक रूप लेता है.