मधुबनी न्यूज़: गर्मी शुरू होते ही चमकी बुखार का प्रकोप बढ़ जाता है. इस बुखार को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सर्तक है. चमकी बुखार से बचाव को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है. साथ ही मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है. जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के हेल्थ ऑफिशियल का जिले के कोविड केयर सेंटर में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. प्रशिक्षण एईएस-जेई की रोकथाम, प्रसार तथा उपचार से संबंधित था. ताकि गर्मियों के मौसम में एईएस-जेई के मामलों से बच्चों को सुरक्षित किया जा सके.
अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के आदेश पर प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया कि गर्मियों में बच्चों को ज़्यादा सावधानी बरतनी आवश्यक है. क्योंकि इसी समय में एईएस-चमकी रोग के बढ़ने की ज्यादा संभावना बनी रहती है. डॉ. झा ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है. यूनिसेफ के एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें. अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुंचे. यात्रा का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम में चमकी के लक्षणों व उससे बचाव के तरीके बताए गए.
चमकी से बचाव के तरीके बताए
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया कि बच्चे रात में खाली पेट न सोएं. बेवजह धूप में न निकलें. कच्चे, अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें. उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस के पाउडर व पारासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि बच्चों के माता-पिता अपने शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहें. समय-समय पर देखभाल करते रहें. बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाएं. उनके हाथों व मुंह की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है.
चमकी बुखार-एईएस के लक्षण
वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी राकेश रोशन ने बताया कि लगातार तेज बुखार रहना, बदन में लगातार ऐंठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी आना, चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि न होन चमकी के लक्षण हैं.
चमकी से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी
बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें. गन्दगी से बचें, कच्चे अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें. ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी पिलाएं.