भागलपुर: एक दशक के बाद अब फिर से हैंडलूम परदे का जमाना लौट रहा है. यहां के बुनकर बांस के सहारे डिजाइनर परदा तैयार कर रहे हैं. परदे को कॉटन के धागे में तैयार किया जा रहा है. जगदीशपुर, पुरैनी, लोदीपुर आदि जगहों पर बुनकर इस परदे का निर्माण कर रहे हैं. इससे बुनकरों को रोजगार भी मिल रहा है. दरअसल, बिहार बुनकर सेवा केंद्र की ओर से बुनकरों को समर्थ योजना के तहत हैंडलूम परदा बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. भविष्य मे मांग बढ़ने की संभावना है.
पुरैनी बुनकर समिति के अध्यक्ष अफजल आलम ने बताया कि एक दशक के बाद बुनकर हैंडलूम पर परदे का निर्माण कर रहे हैं. परदा कॉटन के धागे में बन रहा है. इसमें बांस का बॉर्डर दिया जा रहा है. परदे को बांस के सहारे खूबसूरत बनाया जा रहा है. यह सीधा रहेगा और हवा में उड़ेगा भी नहीं. परदा को अभी पांच से छह रंगों में तैयार किया जा रहा है. कुछ माह के बाद एक दर्जन से अधिक रंगों में बनाया जाएगा. इसकी कीमत 400 से 500 रुपये होगी. उन्होंने बताया कि पुरैनी में कई बुनकरों को इस परदे को तैयार करने का प्रशिक्षण मिल रहा है. बुनकरों को हैंडलूम पर परदा बनाने की जानकारी दी जा रही है. उम्मीद है कि आगे चलकर इस परदे की मांग धीरे-धीरे बढ़ेगी.
मोटा कॉटन धागे का किया जा रहा इस्तेमाल
लोदीपुर के बुनकर भोला प्रसाद ने बताया कि इस परदे को तैयार करने में मोटा कॉटन धागे का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे अब हैंडलूम में बनाया जा रहा है. एक परदे में पांच से 10 बांस का पीस का इस्तेमाल किया जा रहा है. 10 साल पहले इस तरह के परदे की खूब मांग थी. अब बुनकरों को बुनकर सेवा केंद्र के माध्यम से उचित प्रशिक्षण मिल रहा है. इससे मांग बढ़ने की संभावना है.