नालंदा: ग्रामीण नल-जल योजना का कहीं मोटर खराब है, तो कहीं जलमीनार नहीं है. और तो और, पाइपलाइन भी टूटने की शिकायतें आ रही हैं. ग्रामीण नल-जल पीएचईडी के हवाले करने की दिशा में शिकायतें आ रही हैं. योजनाएं आधी-अधूरी होने के कारण पीएचईडी को सुपुर्द करने में फजीहत हो रही है.
अधिकारी नियमों का हवाला दे रहे हैं. चालू योजनाएं ही पीएचईडी को सुपुर्द करने की बात कह रहे हैं. यही कारण है कि 2146 वार्डों में से 372 वार्डों की योजनाएं ही अब तक पीएचईडी को दी गयी है. जबकि, 31 जुलाई तक सभी क्रियान्वित योजनाओं को पीएचईडी के हवाले कर देना था.
कर्मियों की व्यस्तता के कारण हो रही देर बिहारशरीफ के 270 में से 44, नूरसराय के 230 में से 46, अस्थावां के 249 में से 41, सरमेरा के 131 में से 9, बिन्द के 97 में से 36, राजगीर के 125 में से 8, सिलाव के 176 में से 12, बेन के 120 में से 10, गिरियक के 126 में से 36, कतरीसराय के 67 में से 29, हरनौत के 236 में से 63, रहुई के 231 में 38 वार्डो की योजनाएं ही सुपुर्द हो पायी हैं. डीपीआरओ नवीन कुमार पांडेय का कहना है कि कर्मियों की व्यस्तता के कारण विलंब हो रहा है. सभी बीपीआरओ व तकनीकी कर्मियों को कहा गया है कि नल-जल की सूची तैयार करजल्द सुपुर्द कर दें.
पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता अजीत कुमार का कहना है कि नल-जल की योजनाएं सुपुर्द होने के बाद स्थल जांच की जाएगी. मरम्मत के लिए डीपीआर बनाकर विभाग को भेजी जायेगी. अनुमति मिलने के बाद और बेहतर क्रियान्वयन की पहल की जायेगी.
2146 वार्डों में पंचायत राज ने कराया काम
जिले के 3105 वार्डों में से 2146 में पंचायत राज की ओर से नल-नल के कार्य कराये गये हैं. हालांकि, जिले में 10 नये नगर निकायों का विस्तार होने के पहले वार्डों की संख्या 3391 थी. इनमें से 2146 में पंचायत राज व 1245 वार्डो में पीएचईडी द्वारा ग्रामीण जलापूर्ति के कार्य कराये गये हैं. 286 वार्ड अब नगर निकायों के हिस्सा हो गये हैं. इस प्रकार, पंचायत राज विभाग द्वारा 2146 वार्डों की योजनाएं ही हस्तांरित की जानी हैं.