पटना. राज्य सरकार एक बार फिर बाल श्रम को खत्म करने के लिए 30 सितंबर के बाद गांव के स्तर पर अभियान चलायेगी. इसमें स्कूल व कॉलेज की छात्र-छात्राओं को जोड़ा जायेगा. इस संबंध में समाज कल्याण व श्रम संसाधन विभाग ने सभी जिलों को निर्देश भेजना भी शुरू कर दिया है. अभियान में जीविका दीदी व आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का भी सहयोग लेने का निर्णय लिया गया है, ताकि बच्चों को इस अपराध से मुक्त कराया जा सके. अभिभावकों की काउंसेलिंग की भी व्यवस्था की गयी है.
रेस्क्यू के बाद भी दोबारा काम करते हैं बच्चे
जिन बच्चों को बिहार या दूसरे राज्यों से बाल श्रम से छुड़ा कर लाया जाता है. दोबारा से यह बच्चेे काम करने लगते हैं. इस संबंध में विभाग के पास कई शिकायतें पूर्व में ही पहुंच चुकी हैं. इस कारण से विभागीय स्तर पर अभिभावकों की काउंसेलिंग की व्यवस्था की गयी है.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर भी चलेगा अभियान
आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले लाभुकों की काउंसेलिंग होगी. उन्हें बाल श्रमिकों के संबंध में समझाया जायेगा, ताकि वह अपने आसपास होने वाले बाल अपराध रोक सकें. श्रमिकों के दोबारा पकड़े जाने पर अभिभावकों को सबसे पहले जिम्मेदार माना जायेगा और उन्हें इस संबंध में जवाब देना होगा. अगर काउंसेलिंग के दौरान अधिकारियों को यह समझ में आयेगा कि बच्चे को जान बूझ कर श्रम करने के लिए अभिभावक भेज रहे हैं, तो उनके ऊपर नियमानुसार कार्रवाई होगी.
स्कूल भेजने का भी किया जाएगा प्रयास
राज्य में उद्योग स्थापना के साथ ही बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए प्रयास को और तेज किया जायेगा. वहीं, बाल श्रम खत्म करने के लिए अभिभावकों की काउंसेलिंग के साथ साथ सामुदायिक स्तर पर सक्रियता बढ़ायी जायेगी. इसके साथ ही सरकार द्वारा नये उद्योग स्थापित करने एवं स्कूल जाने योग्य सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में भी प्रयास किया जायेगा.
न्यूज़क्रेडिट: प्रभातखबर