बक्सर न्यूज़: हलक को सूखा देने वाली चिलचिलाती धूप एवं भीषण गर्मी ने ग्रामीणों के समक्ष पेयजल की गंभीर संकट पैदा कर दी है. कृष्णाब्रह्म क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लगे सरकारी चापाकल समुचित रख-रखाव व देखभाल के अभाव में बंद पड़े हैं. मौसम में हुए आमूलचूल बदलाव के बाद लोगों को प्यास का अहसास शिद्दत से हो रहा है.
परन्तु, विडंबना यह है कि इलाकाई गांवों के चौक-चौराहों, बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर लगे चापाकल फेल हो गए हैं. ऐसे में पेयजल को लेकर लोगों की परेशानियां बढ़ गई है. लोग निजी नलकूपों पर जैसे-तैसे अपने हल्क को तर प्यास बुझा रहे हैं. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण बक्सर द्वारा क्षेत्र के अरियांव, सोवां, अरक, कठार, छतनवार, नुआंव व ढकाईच पंचायत अंतर्गत विभिन्न गांवों के चौक-चौराहों व सार्वजनिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर इंडिया मार्का चापाकल लगाए गए थे. उस वक्त ग्रामीणों में इस बात की खुशी थी कि उन्हें अब पेयजल संकटों से जूझना नहीं पड़ेगा. परन्तु, पीएचईडी द्वारा ग्रामीणों की सोच को हकीकत में नहीं बदला जा सका. दो महीनें के अंदर ही अधिकांश चापाकलों ने पानी देना बंद कर दिया. आंकड़ों पर गौर करें तो गांवों में गड़े लगभग 60 फीसदी चापाकल मामूली फाल्ट के चलते बंद पड़े हैं. ग्रामीण अमरेन्द्र सिंह, बैजनाथ यादव, विमलेश पांडेय आदि ने बताया कि बंद पड़े चापाकलों को अगर, विभाग चालू कर दे तो इलाकाई लोगों को बहुत हद तक पेयजल की समस्या से निजात मिल सकती है. लोगों ने बताया कि संवेदक द्वारा सरकारी मानक को दरकिनार कर चापाकलों को लगाया गया है, जिससे अधिकांश फेल हो गए हैं.