पटना न्यूज़: परंपरागत विश्वविद्यालयों की तरह देश के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों की भी रेटिंग होगी. राज्य के मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बिहार के मेडिकल कॉलेजों की बात करें तो इंफ्रास्ट्रक्चर, संसाधन और शिक्षकों की कमी बेहतर रेटिंग के लिए सबसे बड़ी बाधा है. अभी राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 45 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है. वहीं शोध के क्षेत्र में भी बेहतर काम नहीं हो रहा है. बता दें कि बिहार में सरकारी व प्राइवेट मिलाकर दो दर्जन से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं.
रेटिंग के अनुसार ही मेडिकल कॉलेजों को सहयोग मिलेगा. नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने मानक तय कर दिया है. मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड की ओर से कॉलेजों का मूल्यांकन किया जाएगा. इसके बाद रेटिंग दी जाएगी. मेडिकल कॉलेजों को सभी जरूरी कागजात मुहैया करवाने होंगे.
बोर्ड द्वारा जो रेटिंग दी जायेगी, उसको सरल तरीके से समझाया जाएगा. बोर्ड व एनएमसी की वेबसाइट पर सभी मेडिकल कॉलेजों की रेटिंग जारी की जाएगी. मूल्यांकन रिपोर्ट भी लोग देख सकेंगे. अब तक मेडिकल कॉलेजों के लिए कोई रेटिंग सिस्टम नहीं था.
एमबीबीएस में भी लागू होगा मल्टी च्वाइस क्रेडिट सिस्टम
अब एमबीबीएस में नामांकन लेने वाले छात्र भी एक साथ कई कोर्स कर सकते हैं. मेडिकल कॉलेजों में भी मल्टी च्वाइस क्रेडिट सिस्टम पाठ्यक्रम शुरू होंगे. जिसमें एक साथ कई कोर्स किये जा सकते हैं. साथ ही सेमेस्टर में क्रेडिट दिये जायेंगे. छात्रों को अधिकतम नौ साल तक अपनी एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर लेनी होगी. वहीं, अब निजी और सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीधे प्रवेश नहीं लिये जायेंगे. ये कॉलेज सीधे प्रवेश लेने पर प्रथम बार में दो करोड़ का जुर्माना लगेगा. जबकि, दूसरी बार ऐसा करने पर मान्यता रद्द की जा सकती है.
इन आधार पर मिलेगी रेटिंग
एकेडमिक एक्सीलेंस
रिसर्च और फीडबैक
टीचिंग प्रोसेस में इनोवेशनल
नेशनल-इंटरनेशनल इवेंट में स्टूडेंट्स-टीचर की भागीदारी
स्पोर्टस और सोशल वर्क