बिहार

Gopalganj: योजना फ्लॉप आमस में लोगों के घरों से नहीं हो रहा कचरे का उठाव

Admindelhi1
24 Jun 2024 5:34 AM GMT
Gopalganj: योजना फ्लॉप आमस में लोगों के घरों से नहीं हो रहा कचरे का उठाव
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बिहार: कचरा प्रबंधन केंद्र नहीं रहने व ग्रामीणों द्वारा महीने के तीस रुपये नहीं देने के कारण आमस की सभी पंचायतों में कचरा उठाव पर ब्रेक लग गया है. इससे कचरा उठाव करने वाले कर्मी बेकार हो गए हैं. ठेला व रिक्शा खूद कचरे का ढेर बनते जा रहे हैं. हालांकि प्रखंड को-ऑडिनेटर ब्रजेश कुमार का कुछ वार्डों से कचरा उठाव होने का दावा है. उन्होंने बताया कि शुरू होने के बाद लोगों के घरों से कई महीनों तक कचरे का उठाव किया गया.

सरकार द्वारा निर्धारित महीने के तीस रुपये देने के लिए बैठकें व जागरूकता अभियान भी चलाए गए, लेकिन कोई देने को तैयार नहीं है. कहा समय पर पारिश्रमिक नहीं मिलने के कारण कर्मी कचरा उठाव करने को तैयार नहीं हैं. महुआवां पंचायत के कर्मियों को चार माह व आमस व झरी पंचायत के कर्मियों को - माह का परिश्रमिक दिए जाने का इनका दावा है. कहा कुछ पंचायतों में डब्लूपीयू के कार्य भी पूरा नहीं हुए हैं. अकौना पंचायत के कर्मी बनवारी मंडल व कारु मंडल ने बताया कि सिर्फ एक माह का ही पारिश्रमिक मिल पाया है. बिना पैसे मिले काम कैसे करें. खराब हो चुके ठेला व रिक्शे को बनवाने में अधिकारी व पंचायत प्रतिनिधि अपना हाथ खड़ा कर दिए हैं.

स्टेट हाईवे 69 पर कबाड़े के ढेर से दुर्घटना की आशंका:- डुमरिया-पटना स्टेट हाईवे 69 के किनारे इमामगंज पावर ग्रिड के पास कबाड़ का स्टॉक किया जा रहा है. स्टेट हाईवे के किनारे करीब दो सौ फीट में कबाड़ का पहाड़ बना हुआ है. वहां पर कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. इस संबंध में बीजेपी नेता विद्या सिंह, रामसेवक पासवान, प्रताप प्रसाद, उदय चंद अग्रवाल ने बताया कि पवार ग्रिड के पास स्टेट हाईवे के किनारे एक तरफ होटल है जहां पर हमेशा दो-चार छोटी-बड़ी गाडियां लगी रहती हैं. दूसरी तरफ कबाड़े का ढेर रहने से गाड़ियों को साइड देने व लेने में काफी परेशानी होती हैं. कभी-कभी बड़ी गाड़ियों को आमने- सामने हो जाने के बाद उस समय साइड देकर निकलना मुश्किल हो जाता हैं. कबाड़ के ढेर होने से कभी भी ऑटो व बाइक सवार के साथ बड़ी दुर्घटना घट सकती हैं. इस हाईवे से हर दिन स्थानीय प्रशासन की गाड़ी आती-जाती रहती हैं. इसके बाद भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई न होना काफी चिंता का विषय बनता जा रहा है.

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