बिहार

प्राध्यापकों को हटाने की आशंका पर रोष, जेपीयू में 150 से अधिक अतिथि प्राध्यापक दे रहे हैं सेवा

Admin Delhi 1
3 April 2023 2:07 PM GMT
प्राध्यापकों को हटाने की आशंका पर रोष, जेपीयू में 150 से अधिक अतिथि प्राध्यापक दे रहे हैं सेवा
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सिवान न्यूज़: जयप्रकाश विश्वविद्यालय समेत बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों से अतिथि प्राध्यापकों को हटाने की आहट पर उनके अंदर आक्रोश है. जेपीयू के अतिथि प्राध्यापकों ने बैठक कर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए मांग की है कि उनकी सेवा नियमित करते हुए 65 साल की जाए. सेवा समंजन की मांग को लेकर ही पटना में अतिथि प्राध्यापकों का जुटान होने वाला है.

विदित हो कि मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय में कार्यरत हिंदी विभाग में अतिथि सहायक अध्यापकों को बाहर निकाल दिया गया है जिसके कारण पूरे बिहार के विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे सभी अतिथि सहायक अध्यापकों में काफी रोष है . उनके अंदर मुजफ्फरपुर के बाद सभी विश्वविद्यालयों से धीरे-धीरे हटाये जाने की आहट है.

150 से अधिक अतिथि प्राध्यापक जेपीयू में सेवा दे रहे हैं जबकि पूरे बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इनकी संख्या 25 सौ से अधिक है. उनका तर्क है कि बिहार सरकार के संकल्प के आधार पर यूजीसी के मापदंड व बिहार पब्लिक सर्विस कमिशन के नियम और परिनियम पर बहाल हुए हैं .सरकार हमलोगों का इस्तेमाल तब की जब उनके पास पढ़ाने लायक एक भी सहायक अध्यापक नहीं थे. जयप्रकाश विश्वविद्यालय अतिथि सहायक अध्यापक संघ के डॉ हरिमोहन कुमार, डॉ मनोज पांडे, डॉ अमित कुमार यादव, डॉ विकास सिंह, डॉ रिजवान अहमद, डॉ विभूति प्रकाश केसरी, डॉ एजाज अहमद, डॉ नीतू सिंह, डॉ दीपशिखा व अन्य थीं.

उच्च शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति में संजीवनी का किये काम अतिथि सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति के दौरान हमलोग उचित शिक्षा व्यवस्था के लिए संजीवनी का काम किए थे. विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य संभाले तब से निरंतर बिहार की उच्च शिक्षा की व्यवस्था में गुणात्मक वृद्धि होती चली गई. इस बात को बिहार सरकार स्वयं विधानसभा में स्वीकार की है.

सुरक्षित राशि अधिक होने के कारण नहीं ले पा रहे हैं डाक में भाग सारण के घाघरा नदी व गंडक नदी के किनारे 16 चिन्हित घाट हैं. इन घाटों पर सिर्फ नदियों से सफेद बालू ही निकलता है. पिछले चार बार इन घाटों के लिए विभाग की ओर से विज्ञापन निकाला गया लेकिन तीन घाट की ही बंदोबस्ती हो पाई है.

बताया जाता है कि सारण के 16 घाटों की सुरक्षित राशि लगभग 50 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. इस वजह से डाक में भाग लेने वाले शामिल नहीं हो पा रहे हैं. 75 प्रति घन मीटर के हिसाब से बालू की मूल्य निर्धारित की गई है जो काफी अधिक है. जानकारी के अनुसार अक्टूबर-नवंबर दिसंबर और फरवरी में विज्ञापन निकाला गया था. इनमें पहलेजा ,घेघटा व डोरीगंज का ही टेंडर किया जा सका है जबकि जान टोली बरहमपुर घाट, जैलसर रावल टोला,आरवा टोला,सैंडघाट, मुसेपुर सैंडघाट,बोधा छपरा, मथुरापुर घाट, मानपुर दिघवारा घाट, काली घाट, दरिहरा, सतजोड़ा समेत अन्य कई घाट शामिल हैं.

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