बिहार

प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की किताब से लेकर यूनिफॉर्म तक हुई महंगी

Admindelhi1
21 April 2024 6:36 AM GMT
प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की किताब से लेकर यूनिफॉर्म तक हुई महंगी
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अभिभावक हुए परेशान

कटिहार: प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की किताबों पर मंहगाई की मार से जिले के अभिभावक परेशान हैं. नए सत्र में नामांकन के साथ ही प्राइवेट स्कूलों की किताब व कॉपी के मूल्य में जहां 30 फीसदी तक वृद्धि हो चुकी है. वहीं स्कूलों के मासिक फीस और रीएडमिशन का चार्ज भी दस से पंद्रह प्रतिशत तक वृद्धि अभिभावकों की जेब पड़ भारी पड़ रहा है.

नामांकन शुरू होने से पहले ही स्कूली बच्चों को प्राइवेट स्कूलों के द्वारा किताब व कॉपी की लिस्ट थमा दी गयी है और चिह्नित दुकान से किताब और कॉपी खरीदने के लिए बच्चों को कहा जा रहा है. किताब व कॉपी के मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं. बढ़े हुए मूल्य पर किताब व कॉपी खरीदना बच्चों के अभिभावकों की मजबूरी बनी हुई है. किताब दुकान पर दुकानदार के द्वारा वाजिब छूट भी नहीं दी जाती है. अभिभावक शंकर सिंह ने बताया कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना अब और मुश्किल हो गया है. किताब व कॉपी के दाम आसमान छू रहे हैं. विंदेश्वर साह ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों के फी पर कोई नियंत्रण नहीं है.

पंचदेवरी बाजार के थोक स्टेशनरी विक्रेता मुकेश कुमार जनुनहां बाजार के थोक स्टेशनरी विक्रेता शम्भू केशरी का कहना है कि कागज के साथ प्लास्टिक और दाने के साथ अन्य जरूरी चीजों के दाम थोक में 15 से 20 फीसदी घटे हैं. कॉपी, रजिस्टर, पेन, पेंसिल, बॉक्स, लंच बॉक्स, पानी की बोतल समेत अन्य स्टेशनरी के दाम थोक में कम हुए हैं. फुटकर बाजार में भी दाम घटे हैं, लेकिन निजी स्कूलों के नामित पुस्तक विक्रेता बढ़े दाम पर बेच रहे हैं.

360 की टिफिन, 800सौ में बेच रहे बैग: विजयीपुर प्रखंड के पटखौली गांव निवासी अभिभावक धनंजय ओझा ने कहा कि स्कूल बैग, टिफिन, कलर, वाटर वोटल की कीमतें 50 से 150 रुपए बढ़ गई हैं. पुस्तक और यूनीफार्म विक्रेता नर्सरी के बच्चों के स्कूल बैग 200 से 350 रुपए में बेच रहे थे. बीते साल 400 के भीतर था. बड़े बच्चों के बैग में एक हजार से 800 रुपए में दे रहे हैं. छोटे बच्चों के लंच वाले टिफिन के 200 से 350 रुपए ले रहे हैं. पेंसिल, रबर,पेन, चार्ट पेपर अन्य सामाग्री में एक से दो रुपए बढ़ाकर बेच रहे हैं. इन चीजों की खरीद पर अभिभावकों की जेब पर प्रति बच्चा 200 से 500 रुपए का खर्च बढ़ा है.

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