भवन समेत किसी संरचना के निर्माण या ध्वस्त करने से संबंधित नीति तैयार
पटना: हार में भवन समेत अन्य निर्माण और ध्वस्तीकरण से जुड़े मलबे का समुचित प्रबंधन करना होगा. इसे खुले या नदी में फेंकने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस संबंध में नीति को जारी कर दिया है. यह सरकारी और निजी दोनों तरह के निर्माण पर लागू होगा. इस पर आधारित नियमावली भी जल्द ही तैयार की जाएगी. इसमें नियमों के उल्लंघन पर हर्जाना या सजा का प्रावधान रहेगा.
केंद्र सरकार ने इस संबंध में 2016 से ही नियम लागू कर रखा है. अब बिहार ने इसी नियम के आधार पर नीति तैयार करके सभी नगर निकायों में लागू की है. इसमें सभी नगर निकायों को इसे रोकने और इसका प्रबंधन करने से संबंधित दायित्व का भी निर्धारण कर दिया गया है. सभी नगर निकायों में ध्वस्त भवन सामग्रियों का पुनर्चक्रण(रिसाइकिल) करने का भी प्रावधान होगा. भवन के मलबों का उपयोग किसी निचली जमीन या जल जमाव वाले स्थान को भरने के लिए किया जा सकता है.
नगर निकायों के ये होंगे दायित्व
● संरचना ध्वस्त करने के बाद निकलने वाली सामाग्री को रिसाइकिल करने वाला प्लांट लगाना होगा
● ऐसे सभी स्थानों से निकलने वाली सामाग्रियों को एकत्रकर निष्पादित कराने की व्यवस्था करनी होगी
● निर्माण या ध्वस्तीकरण से पूर्व विभाग से अनुमति लेनी होगी
● इन सभी बातों की नियमित रूप से मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी नगर निकायों की होगी
● आम लोगों के बीच इस नीति को लेकर जागरुकता पैदा करने के लिए सभी तरह के प्रयास करने होंगे.
● सभी नगर निकायों में इसे लागू करने को लेकर विभाग ने तय की जिम्मेदारी
इन बातों का रखना होगा ध्यान
● निर्माण स्थल को ढककर रखना होगा. सड़क पर निर्माण सामग्री गिराने पर भी रोक रहेगी.
● ध्वस्तीकरण के बाद कंक्रीट, लोहा, लकड़ी, प्लास्टिक आदि को अलग-अलग रखना होगा.
● इन्हें जल स्रोत, सड़क किनारे, खुले स्थान नहीं फेंकना है. जलाने की भी अनुमति नहीं होगी.
● निर्माण स्थल से 10 टन या इससे अधिक कचरा रोजाना या महीने में 300 टन कचरा निकलता है, तो उन्हें उसी स्थल पर ही इसे अलग-अलग करके प्रबंधन करना होगा.
पटना