गया न्यूज़: कोरोना की मार आज भी बरकरार है. सामान्य परिवार के लोगों को आर्थिक तंगी सबसे बड़ी समस्या बनी है. इसके कारण गरीब परिवार के छात्रों के पठन पाठन काफी प्रभावित हुई है. खाशकर वैसे बच्चे जो गरीब परिवार से आते हैं. उनकी पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. इस मुश्किल वक्त में अगर कोई मदद पहुंचता है तो उसके लिए भगवान से कम नहीं है.
कोरोना की पाबंदियां खत्म होने के बाद विदेशी समाजसेवी गरीब बच्चों के लिए शिक्षा व्यवस्था बहाल करने की पहल करने लगे हैं. बोधगया के गरीब और निर्धन छात्रों के मदद में आगे आकर ताइवानी नागरिकों का दल मिशाल पेश किया है. ताइवान से पहुंचे विदेशी नागरिक बोधगया भागलपुर इलाके में गरीब व मेहनतकश मजदूरों के बच्चों के लिए चल रहे निशुल्क स्कूल जितेंद्र सेवा संस्थान पहुंचकर उनकी मदद को हाथ बढ़ाया. ताइवानी नागरिक लियू चुन ने बताया कि कोरोना काल के पहले बोधगया आये थे. कोरोना की पाबंदियां खत्म होने के तीन साल बाद मेहनतकश मजदूरों के बच्चों को ईंट- पत्थर से खेलते देखा तो उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की जिद यहां दुसरीबर लेकर आया. सेवा संस्थान यहां गरीब व असहाय बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही है. इसमें हमसे जो सहयोग होगा वो करेंगे. स्थानीय समाजसेवी बाल गंगाधर व सुधीर कुमार ने कहा मकसद अभाव में जी रहे मासूम बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाना है.
बताया कि जब मजदूरों के बच्चों को रेत-मिट्टी और ईंट- पत्थर से खेलते देखते थे, तो पीड़ा होती थी. इस दौरान अमेरिका में रहने वाले लियू चुन टीम के सदस्यों के साथ मिलकर ऐसे बच्चों की खुशी के लिए अपनी ओर से पहल करने की योजना बनाई. सभी सदस्य इसके लिए राजी हुए और ऐसे स्थानों पर जाकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा और खुशियां बांटने का काम शुरू किया. इसके तहत गरीब और निर्धन बच्चों को निशुल्क कॉपी, किताब, कलम दिया गया.