पटना: एक तरफ सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) महागठबंधन के साथ नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. मंगलवार को जदयू के विधायकों और एमपी की बैठक बुलाई गई है. माना जा रहा है कि बिहार सरकार में बहुत जल्द बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. विधायकों के पटना पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. वहीं बीजेपी के लिए आगे कुआं और पीछे खाई की स्थिति होने के बावजूद इस बात को मानने से साफ इंकार कर रही है. बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया है कि बिहार में सबकुछ ठीक है, ऑल इज वेल (All Is Well In Bihar NDA) है. जिस दिन शपथ ग्रहण हुआ, एनडीए की सरकार बनी उसी दिन से ये सारी बातें चल रही हैं.
बोले अमरेंद्र प्रताप सिंह- 'एनडीए में ऑल इज वेल': राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agricultural Minister Amarendra Pratap Singh ) ने कहा है कि बिहार में सरकार स्थिर है. कहीं से कुछ होनेवाला नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें शपथ ग्रहण से लेकर आज तक कई बार की गई जो कि गलत साबित हुआ है. अभी की परिस्थितियों में एनडीए एकजुट है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम हो रहा है.
जेडीयू नेता पहुंच रहे पटना: इधर सीएम नीतीश कुमार के आदेश के बाद जदयू विधायकों और एमपी का पटना पहुंचना शुरू हो चुका है. अस्थावां के जदयू विधायक जितेंद्र कुमार पार्टी कार्यालय पहुंचे. हालांकि इस बैठक को लेकर विधायक कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं. जितेंद्र कुमार ने कहा कि बैठक में शामिल होने आए हैं. जदयू विधायक जितेंद्र कुमार ने कहा कि हमारी पार्टी का नाम नीतीश कुमार ही है. उनकी छत्रछाया में हम लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. जदयू के एनडीए से अलग होने के कयास और आरजेडी के तरफ से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग पर जदयू विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे हम लोग उनके साथ रहेंगे.
जेडीयू ने साधी चुप्पी: वहीं जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पहले ही कहा है कि एनडीए में ऑल इज वेल है. एक तरफ मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में नहीं जाते हैं, दूसरी तरफ सोनिया गांधी से फोन पर बातचीत करते हैं. इस पर भी जदयू प्रवक्ता का कहना है कि सोनिया गांधी ने क्या आपको जानकारी दी है? किस तरह से खबरें चल रही हैं यह मुझे मालूम नहीं है.
एनडीए में मतभेद: पिछले कुछ समय से बिहार के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी और जेडीयू में मतभेद (Dispute between BJP and JDU) लगातार गहराते जा रहे हैं. हालांकि दोनों दलों के बड़े नेता सबकुछ ठीक ठाक होने का दावा करते रहते हैं लेकिन इन सब के बीच 30 और 31 जुलाई को राजधानी पटना में बीजेपी के सात मोर्चों की बैठक हुई थी. इस बैठक में देश भर से मोर्चा के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा था. 700 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था लेकिन इस बैठक से जदयू की ना सिर्फ दूरी देखने को मिली बल्कि जदयू के विजयी विधानसभा सीटों को भी बीजेपी ने नजरअंदाज किया था. बीजेपी ने सिर्फ 200 विधानसभा क्षेत्रों में मोर्चे के सदस्यों को भेजा गया था. गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक के दूसरे दिन तमाम कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी और कई जरूरी निर्देश भी दिए थे. उसी दिन से बिहार की सियासत में हलचलें तेज हो गई थी.
तेजस्वी के साथ डील लगभग फाइनल: बिहार की राजनीति में परिवर्तन के बाद बीजेपी के 77 और एआईएमआईएम के एक विधायक बाहर रह जाएंगे. चर्चा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच डील लगभग फाइनल हो गयी है. कुछ चीजों पर पेंच फंसा हुआ है और उस पर भी सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री द्वारा बुलाये गए नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेना और ललन सिंह की ओर से आरसीपी सिंह के बहाने जिस प्रकार से बीजेपी पर निशाना साधा गया है, कहीं ना कहीं संकेत साफ है कि नीतीश एनडीए से अब निकलना चाहते हैं. एनडीए में कई कारणों से उनकी नाराजगी है और चाह कर भी अपनी बात बीजेपी से नहीं मनवा पा रहे हैं. आरसीपी सिंह भी रोड़ा बने हुए थे. अब वह भी पार्टी से बाहर हो चुके हैं.