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बिहार में बेहिसाब बारिश के बीच बाढ़ के जख्म फिर हरे हो रहे हैं. इस बार भी बाढ़ से जंग जारी है. नदियां फिर उफना लेने लगी हैं और आशियाने जलमग्न हो गए हैं. महज हफ्ते भर की बारिश ने दरभंगा ने पहले ही जलसमाधि ले ली है. अब इस बारिश ने बेता थाने को भी डूबा कर रख दिया है. थाना परिसर में स्विमिंग पूल जैसा नजारा दिख रहा है. थाने के अंदर और बाहर पानी ही पानी है. शहर में सुरक्षा की गारंटी देने वाले ही बाढ़ के पानी में असुरक्षित हैं. दरभंगा के पास बहने वाली नदियों ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. बाढ़ के आगे प्रशासन ने मानो नतमस्तक होने की मानो पहले ही ठान ली थी.
तेज बहाव में बह गया डायवर्जन
दरभंगा में हर साल तटबंध निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. की तैयारी के नाम पर भी लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं. लेकिन तेज धारा में ये तटबंध बह जाते हैं या फिर टूट जाते हैं. कोणी नदी पर भी बना 18 लाख का डायवर्जन भी इस बाढ़ की भेंट चढ़ गया. पूरा का पूरा डायवर्सन कोणी नदी में समा गया. डायवर्जन टूटने से 20 पंचायतों के आवागमन का रास्ता भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया.
हर साल 156 करोड़ से अधिक का खर्च
एक सरकारी आंकड़ा है कि राज्य में बाढ़ से बचाव के लिए 13 नदियों पर 3790 किलोमीटर एरिया में तटबंध बनाए गए. इनके निर्माण, मरम्मत, रख-रखाव पर हर साल औसतन 156 करोड़ से अधिक का खर्च आता है, लेकिन बाढ़ के हालात में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला. कटिहार में महानंदा नदी में कटाव बाढ़ की तैयारियों का गवाह है. आजमनगर में इमामनगर गांव के पास 50 मीटर दूरी पर महानंदा नदी में भीषण कटाव हो रहा है. महानंदा के इस रौद्र रूप के बीच गांव का अस्तित्व खतरे में है. महानंदा में कटाव से गांव में दहशत है.
भागलपुर में कोसी नदी का रौद्र रूप
बाढ़ की पीड़ा और सब कुछ खो देने की कसक भागलपुर के लोगों को भी रहती है. तकदीर में बाढ़ ऐसी त्रासदी है, जो हर साल भागलपुर में भी अपनी विनाश लीला से हर किसी को डराते आ रही है. बाढ़ से दहशत और दंश की तस्वीर कोसी ने भी दिखाना शुरू कर दिया है. कोसी में बढ़ते जलस्तर से कटाव तेज हो गया है. कोसी की धारा गांव की ओर मुड़ गई है और कोसी के इस बदलते रूप से पूरे इलाके में भय है.
समस्तीपुर में भी हालात बद से बदतर
बाढ़ से इस वक्त समस्तीपुर में भी हालात बद से बदतर हो रहे हैं. गंगा में कटाव तेज हो रहा है. गंगा में बढ़ते जलस्तर से मुश्किलें भी बढ़ती जा रही है. पटोरी, मोहनपुर और मोहद्दीनगर में गंगा के इस रौद्र रूप से दहशत ज्यादा है. हलांकि बाढ़ की इस विनाश लीला के बीच जल संसाधन विभाग ने फ्लड फाइटिंग का काम जारी रखा है. साल-दर-साल बढ़ रही बाढ़ की विनाश लीला को देखकर अब मन की आस भी नहीं बंध रही है कि इससे निदान का कोई रास्ता निकल पाएगा. सबसे बड़ी बात यह है कि बाढ़ को लेकर जितना काम किया जा रहा है, वह कम पड़ जा रहा है और बाढ़ की विभीषिका बढ़ती जाती है.
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