बिहार

जर्जर स्लुइस गेटों के निर्माण में जुटा बाढ़ नियंत्रण विभाग

Admin Delhi 1
7 April 2023 11:05 AM GMT
जर्जर स्लुइस गेटों के निर्माण में जुटा बाढ़ नियंत्रण विभाग
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मुजफ्फरपुर न्यूज़: डेस्क सूबे के लिए बाढ़ एक बड़ी आपदा मानी जाती है. इससे बचने के इंतजाम के तहत सरयू (घाघरा) नदी पर तटबंध बना है. तटबंध से पानी के रिसाव को नियंत्रित करने के लिए कई जगह स्लुइस गेट बनाए गए. यह काफी हद तक यह बाढ़ व सूखा दोनों ही परिस्थिति में लंबे समय तक लोगों के लिए वरदान साबित होता रहा है. सरयू के गोगरा तटबंध पर बने स्लुइस गेट बदलते समय में विकसित होने बजाय जर्जर होता चला गया. यह अलग बात है कि सुखाड़ की स्थिति में गांव की तरफ का पानी का बहाव नदी की तरफ नहीं होता है. लेकिन, नदी के पानी का उपयोग सुखाड़ के समय में किसान जरूर कर लेते हैं. पिछले साल सुखाड़ पड़ने पर आदमपुर और वैश्य के बारी में बने स्लुइस गेट खोलकर नदी के पानी को गांव के चंवर में प्रभाव किया गया. जिसका फायदा कई गांवों के किसानों को हुआ. अब बूढ़े (जर्जर) हो चले स्लुइस गेट पर भरोसा कम करते हुए बाढ़ नियंत्रण विभाग ने इनकी जगह पर नया स्लुइस गेट बनाने का फैसला किया है. आदमपुर, रकौली और पतार में पुराने स्लुइस गेट की जगह नया बनाने का काम शुरू हो गया है. इसमें प्रत्येक पर करीब 3 करोड़ रूपये खर्च हो रहे हैं.

68 किलोमीटर में है सरयू पर बना गोगरा तटबंध जिले की प्रमुख नदी सरयू पर बने बांध को गोगरा तटबंध के नाम से जाना जाता है. गुठनी से सिसवन के साईंपुर तक 68 किलोमीटर में बने इस तटबंध पर कई स्लुइस गेट बने हुए हैं. सूत्रों की माने तो इसमें दर्जन भर जर्जर हो चले हैं. इन्हें आवश्यकता पड़ने पर खोलने व बंद करने में परेशानी उठानी पड़ती है. बरसात के दिनों में सरयू नदी में पानी की रफ्तार में उतार-चढ़ाव जारी रहता है. इस वजह से तटबंध में लगे अधिकांश स्लुइस गेट पर दबाव बढ़ जाता है. कर्मियों की कमी व तकनीकी कारणों से अधिकांश गेट बेकार हो चुके हैं. कहीं-कहीं पर आधा गेट मिट्टी से भी ढक चुका है. शायद यहीं वजह है समय रहते बाढ़ नियंत्रण विभाग नए स्लुइस गेट का निर्माण कराने में जुटा हुआ है.

गांव से बरसात के पानी का नदी में होता है बहाव

नदियों में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने और तटबंधों की सुरक्षा में स्लुइस गेट की महती भूमिका होती है. नदी में पानी बढ़ने व तटबंध में स्पर्श करते ही गेट को बंद कर दिया जाता है. जबकि गांवों में जलभराव होने पर नाले से होकर इन्हीं स्लुइस गेटों से पानी का बहाव नदी में होता है. सूखे की स्थिति में इसके माध्यम से नदी के पानी को प्रवाहित कर दिया जाता है.

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